जम्मू संभाग के अधिकांश इलाकों में तेज बारिश से ध्वस्त हुए बिजली ढांचे के कारण राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल का ऑक्सीजन प्लांट बंद हो जाना चिंता का विषय है। अस्पताल में कई मरीज ऐसे भी हैं, जो वेंटीलेटर व ऑक्सीजन पर निर्भर हैं। लाइफ लाइन माने जाने वाली ऑक्सीजन प्लांट की बिजली बंद हो जाने का मतलब मरीजों की सीधे मौत हो जाना है। विडंबना यह है कि जम्मू राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल का ऑक्सीजन प्लांट क्या आम बिजली पर निर्भर है। इससे तो लगता है कि प्लांट को चलाने के लिए जनरेटरों का बंदोबस्त नहीं है। हजारों बिस्तर वाला इस जम्मू राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल पर सुपर स्पेशिलिटी, गांधी नगर अस्पताल, डेंटल कॉलेज व अन्य कस्बों के अस्पताल भी निर्भर हैं। अस्पताल प्रबंधन हालांकि मरीजों को ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया करवाने के दावे कर अपनी जिम्मेदारी से बच रहा है। प्रबंधन को चाहिए कि वह किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए ऑक्सीजन प्लांट को चलाने के लिए जनरेटरों को दुरूस्त करवाए। बारिश के कारण संभाग में बिजली का ढांचा अभी तक दुरूस्त नहीं हो पाया है, जिसका असर आम जिंदगी पर भी पडऩा शुरू हो गया है। बाढ़ से शहर के कई मुहल्लों और कॉलोनियों में सड़कों के बह जाने से पानी की पाइपें भी बह चुकी हैं, जिससे कई इलाकों में पेयजल सप्लाई न हो पाने के कारण लोगों का प्रदर्शन भी शुरू हो गया है। ढांचे को दुरूस्त करने में अभी समय लगेगा। अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति अभी भी दुरूस्त नहीं हो पाई है। उमस भरी गर्मी ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। मानसून की पहली तेज बारिश ने व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है। अगर एक बार फिर बारिश होती है तो और भी नुकसान हो सकता है। सरकार को चाहिए कि हालातों को देखते हुए बिजली और पानी की आपूर्ति के अलावा सड़कों के ढांचे को दुरूस्त किया जाए। बारिश के कारण शहर की सड़कें टूट चुकी हैं। कई संपर्क मार्ग भी टूट चुके हैं, जिनके मरम्मत की आवश्यकता है।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]