पंजाब में नशीले पदार्थो की तस्करी की जड़ें इतनी गहराई तक फैली हुई हैं कि इन्हें काटना लोहे के चने चबाने सरीखा हो गया है। हालांकि नई सरकार बनने के बाद पुलिस तस्करों पर शिकंजा कसती हुई दिखाई दे रही है, लेकिन तस्करों के हौसले इस कदर बढ़ चुके हैं कि वह पुलिस पर हमला करने से भी नहीं चूक रहे हैं। गत दिवस लुधियाना में एक तस्कर को गिरफ्तार करने गई पुलिस पर उसके परिजनों व इलाके के लोगों ने हमला बोल दिया। पथराव में एक महिला सहित तीन पुलिस मुलाजिम गंभीर रूप से घायल हो गए। इससे पूर्व भी प्रदेश में तस्करों को पकड़ने गई पुलिस टीम पर हमले की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं। निश्चित रूप से यह दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि यह तो सबको पता है कि नशीले पदार्थो की तस्करी गैरकानूनी है और साथ ही यह प्रदेश के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ है। इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है कि जो लोग समाज में इस जहर को फैलाने का काम कर रहे हैं उनके बच्चे व परिजन भी एक न एक दिन इसकी चपेट में आ सकते हैं। यह तो समाज और परिवार की जिम्मेदारी है कि वह अपने किसी सदस्य को गलत मार्ग पर न चलने दे, लेकिन कई मामलों में ऐसा देखने को मिलता है कि खुद परिजन, ग्रामीण और इलाकावासी ही तस्करों अथवा अपराधियों के संरक्षण में सामने आ जाते हैं और कानून तोड़ने से भी नहीं हिचकते। कई बार राजनीतिक संरक्षण भी इसका बड़ा कारण होता है। कदाचित इसीलिए तस्करों का हौसला और बढ़ जाता है। यह बढ़ते हौसले का ही परिणाम है कि प्रदेश के तस्कर अब मध्य प्रदेश के छात्रों तक नशीले पदार्थो की सप्लाई कर रहे हैं। शनिवार को ही 75 नशीले इंजेक्शन के साथ भोपाल में एक तस्कर की गिरफ्तारी से इसकी तस्दीक भी हो गई है। इससे पूर्व भी देश के विभिन्न हिस्सों में पंजाब से नशे की आपूर्ति के मामले सामने आ चुके हैं। निस्संदेह इस जाल को काटने के लिए पुलिस को सख्त होना होगा। सरकार ने चुनाव पूर्व यह घोषणा की है कि वह प्रदेश से बहुत जल्द नशे का सफाया कर देगी। उसने इसके लिए एसआइटी का गठन भी कर दिया है। अब आवश्यकता इस बात की है कि तस्करों व उनके संरक्षकों के साथ भी सख्ती से निपटा जाए। साथ ही परिवार व समाज की भी यह जिम्मेदारी है कि वह कानून की मदद करें ताकि प्रदेश से इस बीमारी का समूल नाश हो सके।

[  स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]