झारखंड में हाल के दिनों में बैंक लूट की घटनाएं लगातार हो रही हैं। जाहिर है इसका ठीकरा पुलिस के मत्थे फूटता है लेकिन यह भी देखना होगा कि बैंक प्रबंधन सुरक्षा के प्रति कितने गंभीर हैं? राजधानी में बैंकों की सुरक्षा की असलियत मापने के लिए रांची पुलिस ने एक अभिनव प्रयोग किया। पुलिस के जवान डकैतों के वेश में पहुंचे और आसानी से बैंक लूट को अंजाम दिया। इस दौरान बैंक में सुरक्षा का इंतजाम नहीं था। गार्ड आदि भी नदारद थे। यह प्रयोग बताने  के लिए काफी है कि बैंक प्रबंधन धन की सुरक्षा के प्रति घोर लापरवाह है।

बैंकों में सुरक्षा व्यवस्था चुस्त रखना प्रबंधन का काम है। स्थानीय पुलिस गश्ती के दौरान उनपर नजर रख सकती है। कई बार यह देखने में आया है कि बैंक में जब डकैतों ने धावा बोला तो गार्ड का  रायफल लॉकर में पड़ा था अथवा सुरक्षा प्रहरी नदारद था। बैंकों की सुरक्षा में लगाए जाने वाले गार्ड्स के मानक भी तय हैं। अमूमन पूर्व सैनिकों को इस काम में लगाया जाता है लेकिन चंद प्रमुख स्थानों पर मौजूद बैंकों की शाखाओं को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश बैंक असुरक्षित हैं। इसका निदान ढूंढना होगा।

बैंकों का असुरक्षित होना गंभीर चिंता का विषय है इस बाबत तमाम तैयारी आवश्यक है। बेहतर होगा कि पुलिस महकमे के उच्चाधिकारी बैंकों के शीर्ष प्रबंधन के साथ समन्वय स्थापित करें। बैंक प्रबंधन को इस बात के लिए तैयार किया जाए कि हर हाल में चुस्त-दुरुस्त सुरक्षा प्रहरी तैनात किए जाएं। उनके पास अत्याधुनिक हथियार हो और वे उसका संचालन करने में भी सक्षम हों। पुलिस बैंकों में तैनात सुरक्षा प्रहरियों को प्रशिक्षित करने का बीड़ा उठाए। इसके लिए निजी सुरक्षा एजेंसियों से भी तालमेल बिठाना होगा। बैंकों में अलार्म, सीसीटीवी आदि लगाना अनिवार्य करना होगा।

स्थानीय थाने को यह जिम्मेदारी दी जाए कि वे गश्ती के दौरान बैंकों को थोड़ा वक्त दें। बैंक प्रबंधन एक रजिस्टर रखे जिसमें गश्ती करने वाले दल के पदाधिकारी अपना हस्ताक्षर करें। छोटे-छोटे सुरक्षा उपायों को अपनाकर हम बड़ी घटनाओं पर लगाम लगा सकते हैं। डिजीटल बैंकिंग को भी प्रोत्साहित करने की दिशा में बैंकों को कदम उठाना होगा। जब ऑनलाइन बैंकिंग का प्रचलन बढ़ेगा तो बैंकों में आवाजाही काफी कम हो जाएगी। धीरे-धीरे ही सही, झारखंड में इस दिशा में काफी काम हो रहा है। अब प्रबंधन यह तय करे कि बैंकों का धन और वहां आने वाले उपभोक्ता हर हाल में सुरक्षित महसूस करेंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]