(ऐसे हादसों को रोकने के लिए हर वह कदम तत्काल उठाने चाहिए जो जरूरी हों क्योंकि जब किसी मुलाजिम की जान जाती है तो उसका पूरा परिवार तबाह हो जाता है।)
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पंजाब में सीवरेज की सफाई के दौरान होने वाले हादसे नहीं रुक रहे हैं। रविवार को तरनतारन में सफाई के लिए उतरे दो सीवरमैनों की गैस चढऩे से मौत हो गई। इससे पहले भी कई घटनाएं हो चुकी हैं। लुधियाना, मुक्तसर, अमृतसर आदि जिलों में बीते कुछ समय में हुए हादसों में कम से कम 11 लोगों की जान जा चुकी है। सवाल उठता है कि मौतों का यह सिलसिला रुक क्यों नहीं रहा है? जांच में सामने आता है कि नियम-कायदों को ताक पर रखकर सीवरमैनों को सफाई के लिए नीचे उतार दिया जाता है। जो सीवरमैन नीचे उतरते हैं उनके पास जरूरी संसाधन नहीं होते हैं। सीवर में उतरने के लिए किट जरूरी होती है, लेकिन शायद ही कोई कर्मचारी किट पहनकर सीवरेज की सफाई करने उतरता हो। कुछ नगर निगमों-नगर कौंसिलों में तो किट ही नहीं है और जहां है भी वहां पर अधिकारियों की लापरवाही के कारण हादसा हो जाता है। सीवरेज की सफाई शुरू करवाने से पहले कुछ नियम हैं जिनका पालन सुनिश्चित करवाना अधिकारियों की जिम्मेदारी है। अधिकारी यदि मौके पर मौजूद रहकर अपने निर्देशन में पूरा काम करवाएं तो शायद इस तरह से हादसे न हों। ज्यादातर सीवरमैनों की मौत गैस चढऩे से होती है। सीवरेज का ढक्कन खोलने के कुछ ही देर बाद बिना किट के सीवरमैन जब उसमें उतरते हैं तो गैस चढऩे का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए पर्याप्त सतर्कता बरते जाने की आवश्यकता है। पंजाब जैसे आर्थिक रूप से संपन्न राज्य में संसाधनों का अभाव भी हैरानीजनक है। प्रदेश सरकार के साथ ही विभाग के आलाधिकारियों को भी इस मामले में गंभीरता दिखानी चाहिए। ऐसे हादसों को रोकने के लिए हर वह कदम तत्काल उठाने चाहिए जो जरूरी हों क्योंकि जब किसी मुलाजिम की जान जाती है तो उसका पूरा परिवार तबाह हो जाता है। ऐसे हादसों में कई युवा मुलाजिमों की भी जान जा चुकी है। सरकार की तरफ से कुछ लाख रुपये मुआवजे के रूप में मिल जाते हैं, लेकिन ये राशि नाकाफी होती है। कई बार मुलाजिमों के ठेके पर होने के कारण ये मुआवजा भी नहीं मिल पाता है। ऐसे हादसे रोकने के लिए सरकार को अधिकारियों की जवाबदेही तय करनी चाहिए। जांच में जिन अधिकारियों की लापरवाही सामने आती है उनके खिलाफ कार्रवाई से भी गुरेज नहीं करना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]