हाईलाइटर
मुख्यमंत्री की यह सोच निश्चय ही राज्य को नशा मुक्त करने की चिंता से जुड़ी है। सरकार ने इससे पूर्व भी कोशिश की है कि लोग स्वेच्छा से इसके लिए प्रेरित हों।
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बिहार में शराबबंदी का सरकार का निर्णय अब वहां के लोक अनुशासन में शामिल हो गया है। ऐसा नहीं है कि वहां भी चोरी-छुपे शराब की बिक्री नहीं हो रही है। पैसे के बल पर कुछ लोग आज भी जरूरत के हिसाब से शराब जुटा ले रहे हैं। लेकिन, समाज में एक सख्त संदेश जरूर गया है। यही कारण है कि वहां समुदाय में सरकार के इस निर्णय का भरपूर स्वागत हुआ है और हर स्तर पर प्रतिदिन कार्रवाई भी जारी है। समय लगेगा जब नशा का जड़मूल नष्ट हो सकेगा। झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास हमेशा से यह कहते रहे हैं कि वे शराबबंदी को राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहते। एक बार फिर सोमवार को उन्होंने जमशेदपुर में यह दोहराया कि झारखंड में भी धीरे-धीरे शराबबंदी की पहल मुकाम तक पहुंचेगी। मुख्यमंत्री की यह सोच निश्चय ही राज्य को नशा मुक्त करने की चिंता से जुड़ी है। सरकार ने इससे पूर्व भी कोशिश की है कि लोग स्वेच्छा से इसके लिए प्रेरित हों। गांव-पंचायत को शराब मुक्त करने पर पुरस्कार की घोषणा को इस कड़ी से जोड़ कर देखना चाहिए। झारखंड की जन संस्कृति और पर्व-त्योहार में मदिरापान बहुत गहरे तक समाहित है।
मुख्यमंत्री कई बार यह दोहरा चुके हैं कि वे निजी तौर पर शराबबंदी के पक्षधर हैं, पर इसे सियासी मुद्दा नहीं बनाना चाहते हैं। इन दिनों कुछ वैसे दलों की शराबबंदी पर सक्रियता बढ़ गई है, जिसके नेता खुद सरकार में मुख्यमंत्री तक रहे हैं। जब वे सरकार में थे तब उनको इस बात की चिंता नहीं थी कि यहां यह हो। अब वे लगातार चिंता प्रकट कर रहे हैं। सरकार की ओर से निगम बनाकर खुद शराब बेचने की तात्कालिक पहल से भी कुछ न कुछ नियमन जरूर होगा। खासकर इस समय राष्ट्रीय राजमार्ग, स्कूल-कॉलेज और धार्मिक स्थानों के आसपास भी नियमों को ताक पर रखकर जो लोग शराब की दुकान चला रहे हैं, उनपर जरूर नियंत्रण होगा। सरकार का इसी क्रम में यह निर्णय भी स्वागत योग्य है कि जिन जगहों पर पचास फीसद से अधिक अनुसूचित जाति की आबादी होगी, वहां शराब की दुकान नहीं होगी। जरूरत है कि अपने वादे और इरादे पर सरकार कायम रहे। इसमें तंत्र के स्तर से कोई विचलन न हो। अन्यथा, फिर सरकार के इस निर्णय से लोगों का विश्वास कमजोर होगा और फिर झारखंड मे पूर्ण शराबबंदी का सपना साकार नहीं हो सकेगा।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]