मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस बात से असहमत नहीं हुआ जा सकता कि नक्सलवाद की समस्या के समाधान के लिए केंद्र और राज्य सरकार को संयुक्त प्रयास करना चाहिए। केंद्रीय गृहमंत्री के साथ नक्सलवाद प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में नीतीश कुमार ने इस समस्या के समाधान में केंद्र सरकार की तरफ से अपेक्षित सहयोग न मिलने के जो तथ्य पेश किए, वे चिंताजनक हैं। नक्सलवाद की समस्या जितनी विकराल हो चुकी है, उसे देखते हुए केंद्र सरकार को संबंधित राज्यों की हर संभव मदद करना चाहिए। नक्सल प्रभावित 35 राज्यों में छह बिहार के हैं। बिहार सरकार अपने संसाधनों से इस समस्या से जूझ रही है लेकिन इसके लिए जिस श्रेणी के अस्त्र-शस्त्र, प्रशिक्षण तथा अन्य संसाधन अपेक्षित हैं, फिलहाल राज्य के सुरक्षा बलों के पास उनका नितांत अभाव है। राज्य सरकार त्वरित कार्रवाई की दृष्टि से लंबे समय से हेलीकॉप्टर की मांग कर रही है लेकिन इसकी पूर्ति अब तक नहीं की गई। पड़ोसी राज्य झारखंड को हेलीकॉप्टर मुहैया कराया गया है, लेकिन बिहार को नहीं। बिहार के संदर्भ में केंद्र सरकार का यह रवैया बेशक चिंताजनक है, खासकर राज्य में एक के बाद एक नक्सली हिंसा की घटनाएं देखते हुए। उम्मीद की जानी चाहिए कि मुख्यमंत्री द्वारा केंद्रीय गृहमंत्री के सामने यह विषय विस्तारपूर्वक रखे जाने के बाद केंद्र सरकार बिहार के प्रति अपनी नीति में बदलाव करेगी। भले ही बिहार के सिर्फ छह जिले नक्सलवाद से प्रभावित हैं लेकिन इसे लेकर अक्सर होने वाली हिंसक घटनाओं व लेवी वसूली के चलते राज्य की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। राज्य में औद्योगिक निवेश के प्रति अनाकर्षण की एक अहम वजह नक्सलवाद से जुड़ी घटनाएं हैं। दरअसल, नक्सलवाद को सिर्फ अपराध और कानून व्यवस्था की समस्या मानकर नहीं समाप्त किया जा सकता। यह सही है कि पहली नजर में ये हिंसा, लेवी वसूली और अराजकता की घटनाएं प्रतीत होती हैं, फिर भी इसके सामाजिक संदर्भ नजरअंदाज नहीं किए जा सकते। इसे लेकर कई दशकों से बार-बार योजनाएं बनाई गईं लेकिन धरातल पर इनका ठोस स्वरूप आकार नहीं ले सका। इस समस्या के समाधान के लिए बहुआयामी रणनीति बनाई जानी चाहिए। एक तरफ सुरक्षाबल पूरी सख्ती के साथ उन तत्वों से निपटें जो नक्सलवाद के नाम पर हिंसा और लूट-खसोट करते हैं। दूसरी तरफ नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास व रोजगार की योजनाएं संचालित की जाएं। ये दोनों अभियान केंद्र सरकार के सहयोग के बिना संचालित नहीं किए जा सकते। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में नक्सलवाद के खिलाफ केंद्र और राज्य सरकार के कंधे आपस में जुड़े दिखेंगे।
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नक्सलवाद से निपटने में यदि किसी तरह की 'राजनीति' होती है तो इससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कुछ नहीं हो सकता। मुख्यमंत्री ने ऐसे तथ्यों की ओर केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट करवाया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि केंद्र सरकार अपनी नीति में अपेक्षित सुधार करके इस समस्या से निपटने में बिहार सरकार की भरपूर मदद करेगी।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]