जम्मू-कश्मीर में सरकारी राशन कार्ड से आधार लिंक न होने पर उपभोक्ताओं की राशन सप्लाई रोक दिए जाने के सरकार का फरमान सही तो है, लेकिन इसके लिए 31 मार्च तक डेड लाइन रखा जाना उचित नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने भी सरकार को आदेश दिए हैं कि आधार को लिंक करने के लिए कोई हड़बड़ाहट न दिखाए। फिर भी सरकार ने इस तरह का निर्देश जारी कर राज्य के उन हजारों लोगों की नींद उड़ा दी है जिनका दो वक्त का चूल्हा सरकारी राशन पर चलता है। विडंबना यह है कि राज्य में लगभग 60 प्रतिश्त ही लोगों के आधार बन पाए हैं। जबकि 35 प्रतिश्त जनता ऐसी है जिसके पास आधार नंबर ही नहींं है। बेशक सरकार ने दो साल पहले राशन कार्ड को आधार से लिंक करने की प्रक्रिया शुरू की थी। जम्मू-कश्मीर हजारों एकड़ में फैला प्रदेश है, जिसकी सीमाएं एक तरफ चीन, पाकिस्तान और दूसरी तरफ पंजाब और हिमाचल प्रदेश से मिलती हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य के लोग पहाड़ी क्षेत्रों से लेकर मैदानी इलाकों में दूर-दूर तक बसे हुए हैं। ऐसे में हर परिवार इतना सौभाग्यशाली नहीं है कि उनके पास आधार कार्ड हो। लोगों को आधार कार्ड से जोडऩे में सरकार भी असफल रही है। सैकड़ों मील शहरों और कस्बों से दूर रहने वाले लोग जहां बिजली, सड़क और पानी की सुविधा तक नही है, उनसे आधार कार्ड की अपेक्षा करना बेमायने होगी। गांवों में लोगों के लिए आधार कार्ड बनवाने में सरकार कोई पहल नहीं दिखाई। यही हाल शहरों में भी दिखा, जहां सरकार ने आधार बनाने के लिए जिन एजेंसियों को आउटसोर्स किया, उनमें से कुछ कंपनियां लोगों के बायोमीट्रिक जांच करने के बाद भी उन्हें आधार मुहैया नहीं करवा पाई। जिससे हजारों की संख्या में लोग आधार बनवा कर भी आधार कार्ड से वंचित होकर रह गए। जम्मू शहर में बेशक सरकार ने कुछ जगहों पर आधार बनाने का एजेंसियों को ठेका दिया हुआ है, जो पिछले पांच माह से कार्ड बनाने में लगी हुई हैं, लेकिन कार्ड बनाने वालों की लंबी लाइनों और रश को देखते हुए उन्हें एक माह का समय दिया जा रहा है। इससे दूर दराज से आने वाले लोगों को कठिनाइयां झेेलनी पड़ रही हैं। सरकार को चाहिए कि राशन कार्ड को आधार कार्ड से जोडऩे की समय सीमा को देखते हुए दूरदराज क्षेत्रों में आधार बनाने वाली एजेंसियों को सक्रिय करें । अन्यथा लाखों की संख्या में लोगों के दो वक्त का निवाला छिन सकता है। आधार को बैंक अकाउंट, पैन कार्ड से जोडऩे के बाद अब राशन कार्ड से जोडऩा सही है। बेशक इससे राशन वितरण में पारदर्शिता आएगी लेकिन सरकार को चाहिए कि कार्ड बनाने में लोगों का सहयोग करे।

[ स्थानीय संपादकीय: जम्मू-कश्मीर ]