प्रदेश में ऐसे भी किसान हैं जिन्होंने खेती को लाभ का जरिया बना दिया है। किसी ने फूलों की खेती को नया आयाम दिया तो कोई सब्जियां उगाकर लाखों कमा रहा है।


पंजाब के किसान जहां कर्ज में डूबे हुए हैं और खेती को घाटे का सौदा करार दे आत्महत्या जैसे कदम उठा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में कई किसान ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपनी दूरदृष्टि, परिश्रम और तकनीक के दम पर खेतों को कमाई का जरिया बना लिया है। वह स्वयं तो इससे मुनाफा कमा ही रहे हैं, साथ ही उन्होंने कई बेरोजगारों को रोजगार भी मुहैया करवाया है और तमाम छोटे किसानों को नई राह भी दिखा रहे हैं। इनमें कई एनआरआइ हैं, जिन्होंने पहले विदेश में अपने हुनर से नाम कमाया और अब अपनी मिट्टी की सेवा में जुटे हुए हैं। बात चाहे ऑस्ट्रेलिया में 10 साल गुजारने वाले सरदार रणदेव सिंह धालीवाल की हो, हॉलैंड में फूलों की खेती से प्रभावित होकर अपने गांव में इसकी खेती करने वाले अवतार सिंह की हो अथवा अमेरिकी नागरिकता प्राप्त कुलदीप सिंह धालीवाल की, इन सभी ने पंजाब में खेती को एक नई दिशा दिखाई है। इन्होंने कृषि को न सिर्फ लाभकारी बनाया, बल्कि फसली चक्र से बाहर निकलने और भूजल स्तर बचाने की राह भी दिखाई। किसी ने फूलों की खेती को नया आयाम दिया तो कोई सब्जियां उगाकर लाखों कमा रहा है। निश्चित रूप से ऐसे किसानों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और उन किसानों को भी इनसे सीख लेनी चाहिए जो फसली चक्र और कर्ज के कुचक्र में फंसे हुए हैं। आत्महत्या किसी समस्या का हल नहीं है, अपितु यह समस्या को और गंभीर बनाने वाला कदम है। जबकि यदि खुद में बदलाव लाकर आधुनिक खेती में हाथ आजमाया जाए तो फूलों और सब्जियों से भी भारी मुनाफा कमाया जा सकता है। सरकार को भी चाहिए कि अपने वादे के मुताबिक किसानों की कर्जमाफी के लिए तो कदम उठाए ही, साथ ही मुनाफे का जरिया बन रही खेती की मार्केटिंग का भी उचित प्रबंध करे। इसके अतिरिक्त अधिक से अधिक किसानों को इसे अपनाने के लिए प्रेरित करना होगा। खेती के अलग और आधुनिक तरीके से न सिर्फ किसानों को लाभ मिलेगा, अपितु नई पीढ़ी भी इसके प्रति आकर्षित होगी। कृषि विश्वविद्यालय को भी चाहिए कि वह सिर्फ गेहूं व धान पर ही ध्यान न देकर नगदी फसलों व अन्य तरह की खेती की तरफ भी अपनी खोज को बढ़ाए। इससे किसानों को परंपरागत खेती से निजात मिलेगी और वह खेतों में खुशहाली के बीज बो कर अपनी आर्थिक सुदृढ़ बना सकेगा।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]