हाइलाइटर
महत्वपूर्ण दस्तावेजों को लेकर सरकारी बाबुओं की लापरवाही इसी तरह रही तो लोगों को सरकारी सिस्टम पर कैसे भरोसा कायम रहेगा
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सरकारी दफ्तरों से दस्तावेजों का गायब होना या विभिन्न जांच एजेंसियों को उन्हें उपलब्ध नहीं कराना, गंभीर लापरवाही है। झारखंड में अभी लगातार ऐसे मामले सामने आते जा रहे हैं। जिसमें विधानसभा द्वारा जांच के लिए बनाई गई समितियां और अदालतों तक के बार-बार कहने के बावजूद दस्तावेज या तो उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं या फिर उनके खोने की बात कही जा रही है।
टाटा सबलीज को लेकर सीएजी ने सवाल उठाए थे जिसके बाद 4700 करोड़ रुपये के टाटा सबलीज घोटाले की जांच विधानसभा की लोक लेखा समिति ने शुरू की। जांच टीम द्वारा बार-बार मांगने के बावजूद सरकारी बाबुओं ने दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए। इसी तरह अडाणी पावर प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित फाइल तलब किए जाने पर विधानसभा की प्रत्यायुक्त कमेटी को फाइल उपलब्ध कराए जाने के बजाए उनसे सवाल किए जाने लगे, मामला इतना बढ़ गया कि प्रत्यायुक्त कमेटी के सदस्यों ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के तहत कार्रवाई की अनुशंसा विधानसभा अध्यक्ष से की है।
पिछले दिनों रिनपास नियुक्ति घोटाले व वित्तीय अनियमितता से संबंधित दस्तावेज अदालत ने तलब किए तो, रिनपास के कार्यकारी निदेशक ने अदालत में जवाब दिया कि जिनके खिलाफ मामला दर्ज है, अधिकतर दस्तावेज उन्हीं के पास हैं। इस कारण उन्हें दस्तावेज उपलब्ध कराने में समस्या आ रही है। अदालत ने ऐसे लोगों के नाम तलब किए। इसी तरह रांची के लालपुर थाने के मालखाने से साढ़े चार लाख रुपये गायब होने का मामला तब सामने आया जब अदालत ने साक्ष्य के रूप में रखे गए उन रुपयों को प्रस्तुत करने का आदेश दिया। लालपुर पुलिस उक्त रुपयों को प्रस्तुत करने में नाकाम रही। सारा पुलिस महकमा इसकी जांच में जुट गया कि रुपये किसने गायब किए। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पैसों के साथ मालखाना के रजिस्टर का भी पता नहीं चल सका है, जिससे यह स्पष्ट हो सके कि उस समय मालखाना का प्रभार किसके पास था। इन पैसों के नहीं मिलने से फैसले प्रभावित होंगे। सरकारी कर्मियों की इस लापरवाही से जहां जांच प्रभावित हो रही है, वहीं पीडि़तों को सही न्याय समय पर नहीं मिल पाएगा। सरकार के यहां मौजूद दस्तावेज को लेकर यह विश्वास आमलोगों के बीच है कि सरकार के पास दस्तावेज सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं और जब जरूरत होगी वह उपलब्ध हो जाएगा। लेकिन महत्वपूर्ण दस्तावेज को लेकर सरकारी बाबुओं की लापरवाही के कारण सिस्टम में ही इस तरह के छेद हो जाए तो लोगों का भरोसा सरकारी सिस्टम पर कैसे रहेगा। ऐसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई जरूरी है। जिससे सरकारी दस्तावेज के साथ इस तरह की लापरवाही भविष्य में न हो।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]