सुरक्षा पर संदेश
वस्तुत: दो कारणों से पुलिस निष्पक्ष कार्रवाई नहीं कर पाती। एक है प्रलोभन और दूसरा भय। पुलिस भ्रष्टाचार पर 'जीरो टॉलरेंस' की नीति पर चलेगी।
-----वस्तुत: दो कारणों से पुलिस निष्पक्ष कार्रवाई नहीं कर पाती। एक है प्रलोभन और दूसरा भय।-----पुलिस महानिदेशक पद की कमान संभालने के बाद सुलखान सिंह ने पुलिस कर्मियों व कानून हाथ में लेने के अभ्यस्त लोगों को कड़ा संदेश दिया है। अब पुलिस को जनता के सम्मान व सुरक्षा की रक्षा करनी होगी। पुलिस भ्रष्टाचार पर 'जीरो टॉलरेंस' की नीति पर चलेगी। गोरक्षा के नाम पर, छेड़छाड़ रोकने व ऐसे अन्य कारणों की आड़ में गुंडागर्दी नहीं करने दी जाएगी। ऐसे प्रकरणों में घेरा डालने, मारपीट, उपद्रव करने वालों पर वही कार्रवाई होगी जो अपराधियों के खिलाफ की जाती है। उन्होंने कहा कि जनता के सम्मान की रक्षा व सुरक्षा के मूलमंत्र पर पुलिस को चलाएंगे। जनता की सुरक्षा एक बड़ा और अहम मसला है। पिछली सरकार में अपराध और अपराधियों का बोलबाला रहा। प्रदेश भर में बेहिसाब अपराध बढ़े। अपराधियों पर कतई लगाम नहीं कसी गई। नतीजतन अपराधियों के हौसले लगातार बुलंद होते गए और खाकी का इकबाल कम होता गया।नए डीजीपी का यह कथन स्वागतयोग्य है कि किसी भी राजनीतिक दल का नेता, कार्यकर्ता अगर कानून हाथ में लेगा तो कार्रवाई होगी। वस्तुत: दो कारणों से पुलिस निष्पक्ष कार्रवाई नहीं कर पाती। एक है प्रलोभन और दूसरा भय। योगी सरकार ने जैसी मंशा जाहिर की है उससे तो स्पष्ट है कि निष्पक्ष कार्रवाई करने वालों को डरने की जरूरत नहीं लेकिन, प्रलोभन में फंसने वालों के बचने की गुंजायश भी कतई नहीं है। अभी तक पुलिस में रपट दर्ज कराने के लिए सरकार के लाख दावों के बावजूद पीडि़त व्यक्तियों को दर-दर भटकने के लिए विवश होना पड़ता था। देखने वाली बात होगी कि नए डीजीपी का यह दावा कि पीडि़त व्यक्तियों की 100 फीसद एफआइआर सुनिश्चित होगी, वास्तविकता में कितना अमली जामा पहन पाता है। लगातार दो रात्रिकालीन ड्यूटी करने वाले जवान को एक दिन अवकाश और साप्ताहिक अवकाश की बात निश्चय ही प्रशंसनीय है। दिन रात मुस्तैदी के साथ ड्यूटी पर डटे रहने वाले जवानों के लिए साप्ताहिक अवकाश एक सपने के सच होने जैसा होगा। इस दिशा में अब तक बात तो बहुत हुई है लेकिन, कोई प्रयोग धरातल पर नहीं उतर सका। पिछली सरकार में साप्ताहिक अवकाश का प्रयोग हुआ था। आइआइएम लखनऊ के प्रोफेसरों को इसके प्रभाव आकलन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी लेकिन, प्रयोग सफल नहीं हुआ। इस बार फिर उम्मीद जगी है। बहरहाल नए डीजीपी के इरादे नेक और स्वागत योग्य हैं।
[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]