प्रदेश सरकार कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने के लिए मंत्रियों व विधायकों के अलावा प्रमुख अफसरों की संपत्ति सार्वजनिक करने के आदेश दे चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह भी इसके लिए स्पष्ट निर्देश जारी कर चुके हैं। बावजूद इसके अधिकतर मंत्री अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करने को तैयार नहीं। बार-बार स्पष्ट निर्देश के बावजूद मंत्री अड़े हैं। सरकार के नुमाइंदों के इस रवैये से सरकार की ही किरकिरी हो रही थी। उधर कुछ विधायक भी अपनी कुछ मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास कर रहे हैं। ऐसे में सरकार ने मंत्रियों व विधायकों के वेतन-भत्तों की जानकारी सार्वजनिक कर इन मंत्रियों व विधायकों पर दबाव बनाने का प्रयास किया है। निश्चित तौर पर यह सरकार का मकसद पवित्र है लेकिन मंत्रियों व विधायकों पर नियंत्रण के बिना लक्ष्य पाने में कामयाब नहीं हो सकती। सरकार को स्पष्ट संदेश देना होगा कि पारदर्शिता के मसले पर वह प्रतिबद्ध है और इसका अनुपालन छोटे से छोटे कर्मचारी से लेकर शीर्ष पर बैठे अफसरों और मंत्रियों को भी करना पड़ेगा। साथ भी यह संदेश जाना चाहिए कि सरकार अपने कदम से बिलकुल पीछे नहीं हटेगी।
ऐसे में आवश्यक है कि सरकार अपनी छवि बनाए रखने के लिए और अधिक प्रयत्न करती दिखे। सरकार ने मंत्रियों व विधायकों के भत्ते सार्वजनिक कर भले ही इसकी शुरुआत की हो लेकिन मंत्रियों को इस मुहिम में शामिल किए बिना लक्ष्य को प्राप्त नहीं किया जा सकता। कुछ मंत्रियों की इसमें कुछ चिंताएं भी हो सकती हैं, लेकिन सार्वजनिक जीवन में आपको शुचिता का पालन करना होता है। आपको दूसरों के लिए आदर्श स्थापित करना होता है। मंत्री अगर स्वयं इसका अनुसरण नहीं करेंगे तो अपने विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों को कैसे इसके लिए बाध्य कर पाएंगे। ऐसे में सरकार की छवि पर भी दाग लग रहा है। स्पष्ट बदलाव दिखाने के लिए मात्र कुछ भ्रष्ट अधिकारियों या कर्मचारियों पर कार्रवाई काफी नहीं है। संदेश साफ होना चाहिए और सत्ता के शीर्ष से आना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : हरियाणा ]