बिहार में शराबबंदी लागू क्या हुई, जनता ने मोर्चा संभाल लिया। पुलिस और नियंत्रण कक्ष को अवैध शराब के खिलाफ धड़ाधड़ शिकायतें मिलने लगीं और अब हालात ये बन रहे हैं कि शहरों में भी अंग्र्रेजी शराब की इजाजत देने को आम जनता तैयार नहीं है। जगह-जगह सरकारी शराब की दुकानों के विरोध में महिला-पुरुषों और बच्चों का गोलबंद होना कई संदेश दे रहा है। इस विरोध को समझने की जरूरत है। इस संवेदनशील मोर्चे पर प्रशासन की ओर से सख्ती दिखाई गई तो स्थिति अराजक हो सकती है। यह शराब के साथ-साथ दुकानों के आस-पास पैदा होने वाले उस वातावरण की खिलाफत है, जिससे सामान्य व्यक्ति दूर रहना चाहता है। रविवार को सरकारी शराब की दुकान के विरोध का यह भी बड़ा कारण रहा, जिसमें महिलाओं पर फब्तियां कसी गईं। यह जरूरी नहीं कि शराब का सेवन करने वाला हर व्यक्ति आचरण से गिरा होता है, लेकिन यह आम धारणा है कि शराबियों से भद्र व्यवहार की उम्मीद नहीं की जा सकती। यही वजह है कि धार्मिक स्थलों और शिक्षण संस्थानों से शराब की दुकानों को दूर रखा जाता है। बड़ा सवाल यह है कि फिलहाल अंग्र्रेजी शराब को शहरों में बेचने की सरकार की योजना का विरोध क्यों हो रहा है? क्या आवाम देसी के साथ-साथ अंग्र्रेजी शराब को भी बंद करने का सरकार पर दबाव बनाना चाहती है या फिर शराब की बिक्री के लिए निर्धारित स्थलों के कारण विरोध है, जिनका प्रशासन ने चयन किया है? इन सवालों की तह में जाने की आवश्यकता है। विरोध में ये सारे मुद्दे घुले-मिले हैं।

फिलहाल सरकार के समक्ष यह एक नया विषय है, जिसके अध्ययन का प्रयास होना चाहिए। पटना के फ्रेजर रोड के फजल इमाम कॉम्पलेक्स में शराब की बोतल खरीदने के लिए पहुंचे लोगों के हंगामे की वजह से दुकानदारों ने विरोध किया। शराब के लिए हंगामा कर रहे लोग महिलाओं पर फब्तियां भी कस रहे थे। यहां बड़ी संख्या में महिलाएं बुटिक का कारोबार करती हैं। साड़ी की दुकानें भी हैं। खरीदारी के लिए महिलाओं और बच्चों की भीड़ ज्यादा जुटती है। इन खरीदारों को दुकान तक पहुंचने के लिए अवांछित भीड़ का सामना करना पड़ा, जो दुकानदारों को नागवार लगा। विरोध की वजह से आखिरकार शराब की दुकान को बंद करना पड़ा। उत्तरी मंदिरी मोहल्ले में द्वारिका स्कूल के पास शराब की दुकान का आवंटन भी यहां के निवासियों को नहीं भा रहा। कंकड़बाग तिवारी बेचर के पास भी अमन अपार्टमेंट सह कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स में बीएसबीसीएल ने किराये पर दुकान ली है। अपार्टमेंट के निवासियों और मार्केट में जाने वालों का रास्ता एक ही है। यहां के निवासी भी शराब की दुकान खुलने से असहज महसूस कर रहे हैं। पीरमुहानी स्थित देवी दयाल उच्च विद्यालय के सामने भी बीएसबीसीएल ने शराब की दुकान खोली है। हालांकि यहां पहले से भी शराब की दुकान थी, लेकिन शराबबंदी के बाद भी यहां के लोगों को इस माहौल से छुटकारा नहीं मिला। आरा शहर के रमगढिय़ा में शराब की दुकान खोले जाने का स्थानीय लोगों ने विरोध किया। भागलपुर में भी अंग्र्रेजी शराब की दुकान खोले जाने के विरोध में महिलाओं और बच्चों ने डीएम आवास के सामने प्रदर्शन किया। एक तरफ आम आवाम शराब के खिलाफ गोलबंद हो रही है तो दूसरी ओर प्रशासन का भी फर्ज बनता है कि उनकी भावनाओं को समझते हुए अंग्र्रेजी शराब की दुकानों के आवंटित स्थलों पर पुनर्विचार करे।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]