हाईलाइटर
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शिक्षकों को कोई भी गैर शैक्षणिक कार्य नहीं करना है। मिड डे मील हो या बेंच-डेस्क का वितरण सभी से उन्हें मुक्त कर दिया गया है।
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सरकारी स्कूल के शिक्षकों को शैक्षणिक कार्य से इतर अब कोई कार्य नहीं करना है। राज्य सरकार ने इस बाबत कड़ा फैसला लिया है। सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है। इससे राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार तो होगा ही साथ ही शिक्षकों के पास कोई बहाना भी नहीं होगा कि उन्हें गैर शैक्षणिक कार्य में लगाने के कारण वे अपने मूल कार्य पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग की सचिव आराधना पटनायक ने स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षकों को कोई भी गैर शैक्षणिक कार्य नहीं करना है। मिड डे मील हो या बेंच-डेस्क का वितरण सभी से उन्हें मुक्त कर दिया गया है। झारखंड पहला राज्य है, जहां शिक्षकों को बीएलओ (बूथ लेवल आफिसर) कार्य से भी मुक्त कर दिया गया है। अब, इसके बाद यदि शिक्षक इसमें संलिप्त पाए गए तो उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी। सरकार ने यह कदम शिक्षकों को रिपोर्टिंग कार्य में लगाने की लगातार मिल रही शिकायतों के बाद उठाया है। यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह कार्य सिर्फ परियोजना कर्मियों को ही करना है। हालांकि सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए कुछ और कड़े कदम उठाने होंगे। अधिकतर शिक्षक शहरी क्षेत्रों में ही रहना चाहते हैं, यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी देखी जा रही है जबकि विद्यालयों और बच्चों के सापेक्ष प्राइमरी और अपर प्राइमरी में शिक्षकों की कमी नहीं है। राज्य के 40 हजार प्राइमरी व अपर प्राइमरी स्कूलों में 27 छात्रों पर एक शिक्षक उपलब्ध है, जो निर्धारित मानक के अनुरूप है, लेकिन जरूरत के अनुसार शिक्षकों के पदस्थापन नहीं होने से ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की कमी दिखने लग जाती है जबकि शहरी क्षेत्रों में शिक्षकों की भरमार हो जाती है। सरकार को ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए कुछ कड़े कदम उठाने होंगे। दिए गए निर्देश का अनुपालन हो रहा है या नहीं इसे भी देखा जाना चाहिए। पूर्व में भी शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए कई कदम उठाए गए थे लेकिन जमीनी स्तर पर सुधार देखने को नहीं मिला। मुख्यालय के निर्देश गांव तक पहुंचे और उसका सही तरीके से अनुपालन हो इसके लिए जिला शिक्षा अधीक्षक की जवाबदेही तय करनी होगी और इसका अनुपालन न करनेवाले जिला शिक्षा अधीक्षकों पर भी कार्रवाई की जानी चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]