प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही नौकरशाही को भी विचार करना चाहिए कि निष्ठाएं सियासी नहीं, जनहित के प्रति होनी चाहिए।
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प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही नौकरशाही में मची हलचल सोचने पर मजबूर करती है। लोकतंत्र में सरकारें आती-जाती रहती हैं, लेकिन शासन का तंत्र वही रहता है। ऐसे में नौकरशाही के लिए भी यह मंथन का वक्त है कि निष्ठाएं जनहित और प्रदेश के साथ होनी चाहिए, दलों के साथ नहीं। चर्चा गरम है कि कांग्रेस के नजदीक माने जाने वाले अफसरों में हड़कंप है, वे अपनी विदाई तय मान रहे हैं। इतना ही नहीं, कुर्सी बचाने के लिए येन-केन-प्रकारेण हर तरह की कोशिश की जा रही है। जोड़-तोड़ के माहिर अपना जुगाड़ भिड़ाने में जुटे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि जब भी सत्ता में बदलाव होता है, तब नई सरकार अपनी प्राथमिकताओं के हिसाब से अफसरों को दायित्व सौंपती है। इसमें कुछ गलत भी नहीं है, आखिर शासन चलाने के लिए कोई भी सरकार ऐसे अफसरों को नियुक्त करेगी, जो उसकी योजनाओं को आगे बढ़ा सकें। बीते पांच वर्ष में भाजपा कई अफसरों पर भ्रष्टाचार को लेकर निशाना साधती रही है। चुनाव से पहले भी पार्टी अफसरशाही में फेरबदल पर सवाल उठा चुकी है। इसमें शासन से लेकर प्रशासन में तैनात अफसर शामिल हैं। देखा जाए तो इसके लिए अफसर खुद भी कम जिम्मेदार नहीं, विपक्ष के मामले में कई बार वे गाहे-बगाहे सार्वजनिक बयानबाजी भी करते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि अफसरों को सियासी निष्ठाओं से किनारा कर ईमानदारी से अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। चुनाव जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में स्पष्ट किया कि चुनाव बहुमत से जीते जाते हैं और सरकार सर्वमत से चलती है। यह वाक्य सरकार और शासन के लिए किसी सूत्र वाक्य से कम नहीं है। नई सरकार का भी दायित्व है कि वह राज्य हित को तवज्जो देते हुए अफसरों को दायित्व सौंपे। जिन अपेक्षाओं के लिए जनता ने उन पर भरोसा किया है, उन पर तभी खरा उतरा जा सकेगा, जब शासन में निष्पक्षता हो। जनता की उम्मीदों को पूरा तभी किया जा सकता है, जब नीति तो हितकारी हो ही, नीयत भी साफ हो। सरकार, शासन और प्रशासन तभी स्वच्छ हो सकता है, जब सब मिलकर एक टीम की तरह काम करें। प्रदेश की जनता ने भाजपा को जो प्रचंड बहुमत दिया है, उसमें चुनौती है और चेतावनी भी। नई सरकार के लिए यह एक बेहतरीन अवसर है कि वह चुनौतियों को स्वीकार करे और चेतावनी को ध्यान में रख खुद को बेहतर साबित करे। उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाली सरकार प्रदेश को भय और भ्रष्टाचार से मुक्त स्वच्छ प्रशासन देगी।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तराखंड ]