राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत सदस्यों का कद कुछ ज्यादा ही बढऩे वाला है। सरकार ने पंचायत सदस्यों को विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लडऩे की छूट देने के लिए वैधानिक नियम बनाने का निर्णय किया है। इसके लिए सरकार मौजूदा कानून में संशोधन करने जा रही है। पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने कहा है कि पंचायत सदस्यों को भी विधानसभा और लोकसभा चुनाव लडऩे का अधिकार देने के लिए मौजूद कानून में संशोधन करने के लिए विधानसभा के अगले सत्र में संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा। विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप दे दिया गया है। यहां यह बताना प्रासंगिक है कि पंचायत अधिनियम 1973 के अनुसार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के किसी भी सदस्य को किसी अन्य चुनाव लडऩे के लिए पंचायत से इस्तीफा देना पड़ेगा। लेकिन अन्य स्थानीय निकायों जैसे नगरपालिका और नगरनिगम के पार्षदों पर यह नियम लागू नहीं है। नगरपालिका और नगरनिगम के पार्षद बिना इस्तीफा दिए ही विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं और यहां तक कि चुनाव जीतने के बावजूद दोनों पदों पर बने रह सकते हैं। सरकार ने पंचायत सदस्यों को भी अब यह अधिकार देने का निर्णय किया है तो इसके पीछे राजनीतिक कारण है। अगले वर्ष पंचायत चुनाव है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी पंचायत सदस्यों को आम जनता के साथ जुड़ कर बेहतर काम करने का निर्देश दिया है। साथ ही मुख्यमंत्री ने कहा है कि पंचायत सदस्यों में जो अच्छा काम करेंगे उन्हें आगे बढऩे का अवसर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री के पंचायत सदस्यों को आगे बढ़ाने का निर्देश देने पर ही पंचायत मंत्री ने मौजूदा कानून में संशोधन करने की दिशा में काम शुरू किया है। कानून में संशोधन हो जाने के बाद पंचायत सदस्यों को भी विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लडऩे की छूट मिलेगी। राज्य में उनके लिए मंत्री बनने का भी रास्ता साफ हो जाएगा। शोभन चटर्जी कोलकाता नगरनिगम के पार्षद होने के नाते मेयर के पद पर आसीन हैं और एक ही साथ विधायक होने के कारण दमकल मंत्री भी हैं। सवाल उठता है कि जब एक व्यक्ति एक पद की मांग जोर पकड़ती जा रही है तो वहां एक ही व्यक्ति के एकाधिक पद पर बने रहना कहां तक उचित है? एक व्यक्ति के एकाधिक पद पर बने रहने से कार्य के साथ उचित न्याय करने पर भी सवाल खड़ा होता है।

(हाईलाइटर-मुख्यमंत्री के पंचायत सदस्यों को आगे बढ़ाने का निर्देश देने पर ही पंचायत मंत्री ने मौजूदा कानून में संशोधन करने की दिशा में काम शुरू किया है)

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]