तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय को चिटफंड कंपनी रोजवैली घोटाले में ओडिशा हाईकोर्ट से जमानत मिलने को लेकर जिस तरह तृणमूल कांग्रेस में उत्साह पैदा हुआ है और विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है उससे कई सवाल खड़े होते हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से लेकर उनकी पार्टी के कई बड़े नेता जैसे सांसद सौगत राय, बिजली मंत्री शोभनदेव चटर्जी, उपभोक्ता मामलों के मंत्री साधन पांडेय, सांसद कल्याण बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस विधायक देवश्री राय आदि नेताओं ने खुशी जताई है। खुशी जताने के साथ मुख्यमंत्री इस मामले में भी केंद्र को कोसना भी नहीं भूलीं। उनका कहना है कि केंद्र का विरोध करनेवाले नेताओं के पीछे सीबीआइ को लगा दिया जा रहा है। सुदीप बंद्योपाध्याय विभिन्न मुद्दों पर संसद में केंद्र के विरुद्ध आवाज उठा रहे थे। खैर जमानत मिल जाने से उन्हें खुशी हुई है। दूसरी ओर तृणमूल के कल्याण बनर्जी जैसे सांसद जो कि खुद भी एक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं, जब यह कहते हैं कि जमानत मिलने से साबित हो गया कि सुदीप को राजनीतिक षड्यंत्र के तहत गिरफ्तार किया गया था तो आश्चर्य पैदा होता है।
तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को पता होना चाहिए कि जमानत मिलने का अर्थ स्थाई रूप से मुक्ति नहीं है। सुदीप जेल के अंदर रहे या स्वास्थ्य के आधार पर जमानत पर जेल से बाहर रहे, उन्हें हर हाल में जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। साथ ही विपक्षी दल खास कर वामपंथी दलों का यह कहना कि केंद्र के साथ ममता बनर्जी का गुप्त समझौता हो गया है, इससे जनता के बीच भ्रम की स्थिति पैदा होती है। माकपा सांसद मोहम्मद सलीम का कहना है कि गिरफ्तारी को जब राजनीतिक षड्यंंत्र माना जा रहा है तो जमानत को पुरस्कार के तौर पर देखा जाना चाहिए। एक कम्युनिस्ट नेता की यह सोच तर्कसंगत नहीं है। दरअसल किसी अभियुक्त को किसी मामले में जमानत हासिल कर लेना न्यायिक प्रक्रिया का एक हिस्सा है। इस पर जानबूझकर कर नेताओं को भ्रम पैदा करना उचित नहीं है। इसके पहले सारधा कांड में पूर्व मंत्री मदन मित्रा को जमानत मिली है। कुणाल घोष भी जमानत पर रिहा हैं। उन्हें तो राज्य पुलिस ने गिरफ्तार किया था। जिम्मेदार नेताओं खास कर जनप्रतिनिधियों को इस तरह के मामलों में ऐसा कुछ नहीं कहना चाहिए जिससे न्यायिक प्रक्रिया को लेकर जनता में भ्रम पैदा हो।
(हाईलाइटर:: दरअसल किसी अभियुक्त को किसी मामले में जमानत हासिल कर लेना न्यायिक प्रक्रिया का एक हिस्सा है। इस पर जानबूझकर कर नेताओं को भ्रम पैदा करना उचित नहीं है।)

[  स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]