दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि न सिर्फ दिल्लीवासियों के लिए गंभीर चिंता का विषय है, बल्कि यह भारी शर्मिदगी का भी सबब बन रही है। गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के आगमन के कारण अब यह मुद्दा दुनियाभर में दिल्ली और देश की छवि धूमिल कर रहा है। इससे पूर्व भी अमेरिकी दूतावास की वेबसाइट ने राजधानी में प्रदूषण की गंभीर स्थिति का जिक्र करते हुए यहां रह रहे अपने नागरिकों को जब तक आवश्यक न हो, घर से बाहर न निकलने की सलाह दी थी।

प्रदूषण पर नजर रखने वाली गैर-सरकारी संस्थाओं के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण में विगत तीन साल में 20 फीसद की वृद्धि हुई है। यह आंकड़ा चिंताजनक है, लेकिन मामला और गंभीर तब हो जाता है जब यह सामने आता है कि वायु प्रदूषण में कमी के लिए किसी भी स्तर पर कोई गंभीर प्रयास नहीं किया जा रहा है।

प्रदूषण पर नजर रखने वाली अधिकांश संस्थाओं के अनुसार दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए वाहनों से निकलने वाले धुएं को सर्वाधिक जिम्मेदार माना जाता है, लेकिन इसके बावजूद सड़कों से वाहनों की संख्या कम किए जाने को लेकर विगत कुछ वर्षो में कोई उल्लेखनीय प्रयास नहीं किए गए। सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या कम करने के लिए सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा दिए जाने की बात कही गई थी, लेकिन अब तक मेट्रो का दिल्ली के कई इलाकों में विस्तार नहीं हो पाया है। वहीं, दिल्ली परिवहन निगम बसों की कमी से जूझ रहा है और अब भी ऐसे कई इलाके हैं जहां निगम की बसें या तो पहुंच नहीं पाई हैं और यदि पहुंची भी हैं तो उनकी संख्या बहुत कम है।

दिल्लीवासियों को निजी वाहनों का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए उन्हें विकल्प उपलब्ध कराया जाना अत्यंत आवश्यक है। सरकार को जहां मेट्रो के विस्तार के कार्य को तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए, वहीं दिल्ली परिवहन निगम के बेड़े को मजबूत करना चाहिए। इसमें संदेह नहीं कि यदि वाहनों के प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण हासिल कर लिया जाए तो वायु प्रदूषण के स्तर को काफी हद तक नीचे लाया जा सकता है। लिहाजा सरकारी एजेंसियों को तत्परता दिखानी चाहिए, ताकि दिल्लीवासियों को राहत मिले और भविष्य में विश्व समुदाय के समक्ष शर्मिंदगी की स्थिति भी न पैदा हो।

-स्थानीय संपादकीयः नई दिल्ली