हाईलाइटर
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ऐसे प्रकरण सामने आने के बाद सख्ती तो बरती जा रही है लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि परीक्षाएं पूरी तरह कदाचार मुक्त हो।
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मैट्रिक व इंटरमीडिएट परीक्षा में नकल के लगातार मामले सामने आ रहे हैं। इसके लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। अपने बदले दूसरों को परीक्षा में बैठाने से लेकर कॉपियां दूसरी जगहों पर लिखवाने के मामले आ चुके हैं। इससे स्पष्ट है कि शिक्षा के क्षेत्र में माफियाओं की पैठ बन चुकी है। वे किसी हद तक जा सकते हैं। ऐसे प्रकरण सामने आने के बाद सख्ती तो बरती जा रही है लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि परीक्षाएं पूरी तरह कदाचार मुक्त हो। राज्य सरकार ने भी इस बाबत निर्देश जारी किया है। पहले भी विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं में इस तरह के मामले आते रहे हैं, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है जब मैट्रिक व इंटरमीडिएट की परीक्षा में भी इतने अधिक मामले सामने आ रहे हैं। कदाचार मुक्त परीक्षा के आयोजन की मुख्य जिम्मेदारी झारखंड एकेडमिक काउंसिल तथा जिला प्रशासन की है। यदि कदाचार के मामले आ रहे तो दोनों को अपनी जवाबदेही लेनी होगी। शिक्षा सचिव आराधना पटनायक ने परीक्षा से पूर्व जैक में आयोजित समीक्षा बैठक में भी सभी डीईओ व अन्य पदाधिकारियों को हर हाल में कदाचार मुक्त परीक्षा सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। दिनभर चली बैठक में मुख्य फोकस इसी पर था। राज्य के मुखिया रघुवर दास ने भी परीक्षा से पूर्व कदाचारमुक्त परीक्षा का आह्वान नागरिकों से किया था। इसके बावजूद परीक्षा में डीईओ की लापरवाही सामने आ रही है। प्रमंडल स्तर के पदाधिकारी क्षेत्रीय शिक्षा उपनिदेशकों की मुख्य जिम्मेदारी संबंधित जिलों की मॉनीटङ्क्षरग करनी है। यदि कदाचार के मामले सामने आ रहे हैं तो इसमें वे भी सीधे रूप से जिम्मेदार हैं। हालांकि कई विषयों की परीक्षाएं संपन्न हो चुकी हैं, फिर भी जरूरत है कि शेष परीक्षाओं में इस तरह की गतिविधियां थमे। ऐसी गतिविधियां में संलग्न तथा इसके लिए जिम्मेदार शिक्षकों व केंद्र अधीक्षकों पर कड़ी और त्वरित कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि उनमें इसका भय व्याप्त हो सके। यदि कहीं से उनपर दबाव पड़ रहा है तो उन्हें विश्वास में लेकर दोषी लोगों पर कार्रवाई करने की जरूरत है। इसमें अभिभावकों को भी जागरूक होने की जरूरत है। ऐसा अक्सर होता है कि इसमें अभिभावक भी शामिल हो जाते हैं। उन्हें यह समझना होगा कि वे नकल कराकर अपने बच्चे का करियर बना नहीं, बल्कि बिगाड़ रहे हैं। परीक्षाओं में कदाचार अपनाकर बच्चे कभी जीवन में सफल नहीं होंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]