शिक्षकों के तबादलों की पारदर्शी व्यवस्था बेहद जरूरी है। ऐसा होने पर दुर्गम में लंबी अवधि तक सेवारत रहे शिक्षकों में असंतोष नहीं पनपेगा।
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शिक्षा महकमे में सुशासन लागू करने को लेकर सरकार का रुख गंभीर नजर आ रहा है। महकमे के ब्लॉक, जिला व मंडलीय दफ्तरों के साथ ही राज्य स्तर पर निदेशालयों में कामकाज को समयबद्ध निपटाने और इसके लिए अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की शिक्षा मंत्रालय की हिदायत पर अमल किया जा रहा है। दरअसल शिक्षकों के तमाम संगठन समस्याओं के निराकरण में अनावश्यक देरी और उन्हें उलझाए जाने को लेकर शिकायतें करते रहे हैं। इसे देखते हुए व्यवस्था को बेहतर बनाने की कसरत की जा रही है। राज्य के सबसे बड़े महकमे शिक्षा को पटरी पर लाने की दिशा में यह कदम अच्छा माना जा सकता है। शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए विभागीय कार्यालयों को चुस्त-दुरुस्त करने के भविष्य में अच्छे परिणाम सामने आ सकेंगे। वैसे भी गाहे-बगाहे महकमे की ढुलमुल कार्य संस्कृति पर सवाल उठते रहे हैं। शिक्षकों का प्रोफाइल तैयार करने के मामले में ऐसा हुआ है। शासन के सख्त निर्देशों के बावजूद इस काम में ढिलाई की शिकायतें शिक्षकों के संगठन कर रहे हैं। हालांकि प्रोफाइल बनाने का ये फैसला तबादलों के परिप्रेक्ष्य में लिया गया है। इसका मकसद यही है कि दुर्गम और सुगम में शिक्षकों की सेवाओं का पूरा ब्योरा दर्ज हो। इस ब्योरे के आधार पर ही शिक्षकों को तबादले के लिए निर्धारित व्यवस्था के तहत गुणांक दिए जाने हैं। 65 हजार से ज्यादा शिक्षकों का प्रोफाइल तैयार करने की चुनौती महकमे के सामने है। खासतौर पर जो शिक्षक वर्षों से दुर्गम क्षेत्रों में सेवारत हैं या लंबी अवधि तक सेवाएं दे चुके हैं, उनकी सेवाओं के ब्योरे को लेकर पेच है। संघों और शिक्षकों को ये आपत्ति है कि दुर्गम और सुगम क्षेत्रों का जब से निर्धारण किया गया है, उसके बाद से ही इन क्षेत्रों में की गईं सेवाओं को जोड़ा जा रहा है। इससे पहले इन क्षेत्रों में लंबे समय तक कार्य कर चुके शिक्षकों को मुश्किलें पेश आ रही हैं। शिक्षकों की इस समस्या का निदान उनका प्रोफाइल तैयार करने में पर्याप्त सतर्कता और पारदर्शिता बरतने से ही संभव है, अन्यथा ये विवाद कभी खत्म नहीं हो सकेगा। बेहतर यह भी होगा कि शिक्षकों का ये प्रोफाइल सिर्फ दुर्गम और सुगम में की गईं सेवाओं तक सीमित न रखा जाए। इसमें उनके उल्लेखनीय कार्यों, विद्यालयों में पठन-पाठन और शैक्षिक माहौल को बनाने में योगदान, परीक्षाफल में प्रदर्शन जैसी जरूरी सूचनाओं को भी शामिल किया जा सकता है। एक बार प्रोफाइल बनने के बाद इसे नियमित अपडेट किया जा सकता है। भविष्य में इसके बेहतर परिणाम दिखाई पड़ सकते हैं।

[  स्थानीय संपादकीय : उत्तराखंड  ]