---उम्मीद है सरकार की सलाह पर किसान विचार करेंगे और उसे अमल में लाएंगे। ---गेहूं की ठूंठ जला कर धान के लिए खेत तैयार करने का चलन पंजाब और हरियाणा से शुरू हुआ और अब उत्तर प्रदेश को भी इस बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया। इसीलिए प्रदेश सरकार को ऐसे किसानों को याद दिलाना पड़ा कि खेत में गेहूं का अवशेष जलाना कानूनन अपराध है। जैसी जोत वैसा जुर्माना, दो एकड़ से कम है तो 2500 रुपये जुर्माना। दो और पांच एकड़ के बीच है तो पांच हजार और उससे ज्यादा में सीधे पंद्रह हजार का दंड पहले से तय है। नई सरकार ने किसानों को सलाह दी है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने इस कानून को सख्ती से लागू करने को कहा है। इसलिए वे खेत में अवशेष जलाने से बाज आएं। दो बार तक की गलती में जुर्माना होगा और उसके बाद राज्य सरकार की ओर से किसान को मिलने वाली सभी सुविधाएं बंद कर दी जाएंगी, जुर्माना अलग से। इसके पहले भी सरकार ने कंबाइन मशीन मालिकों को भी हिदायत दी थी कि वह कटाई करते वक्त ही बंडल बनाने वाली मशीन बाइंडर और भूसा बनाने वाली मशीन स्ट्रा-रीपर का उपयोग अनिवार्य रूप से किया करें।किसान अगर ठान ले तो क्या नहीं कर सकता है। दूर-दराज के गांवों में और छोटी-छोटी जोत के किसानों ने भी उन्नत खेती करके दिखाया है। अपनी मिट्टी की जांच कर परंपरागत खेती के बजाय कई तरह की फसलों की वे व्यावसायिक पैदावार कर रहे हैं। अब तो युवा भी किसानी की ओर बढ़े हैं। सभी किसानों को समझना होगा कि खेत का अवशेष बरबाद नहीं करना है बल्कि उसे अगली फसल के लिए उपयोगी बनाना है। ऐसा करने के लिए परंपरागत तरीका ही बेहतर है कि ठूंठ को कंपोस्ट खाद में बदल देना। इससे खेत में उर्वरता बनी रहेगी, मिट्टी की पहली परत के पौष्टिक तत्व जलकर नष्ट नहीं होंगे और मिट्टी में मौजूद किसान हितैषी कीट, बैक्टीरिया का जीवन चक्र प्रभावित नहीं होगा। पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा। गेहूं के अवशेष में एनपीके (नाइट्रोजन, पोटाश और फास्फोरस) खेत में बने रहेंगे, अगली फसल के लिए खाद कम देनी होगी। उम्मीद है सरकार की सलाह पर किसान विचार करेंगे और उसे अमल में लाएंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]