देश के सर्वाधिक प्रतिष्ठित अस्पताल एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) में डॉक्टरों की लापरवाही से एक नर्स की मौत होना अत्यंत शर्मनाक घटना है। अगर यह कहा जाए कि यह सीधे तौर पर उस अस्पताल की साख पर बट्टा है तो भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। जिस अस्पताल में देश के कोने-कोने से लोग आते ही इस विश्वास के साथ हैं कि वहां असाध्य रोगों का भी इलाज हो जाएगा, वहीं पर अगर इस तरह की लापरवाही सामने आएगी तो यह किसी कलंक से कम नहीं कही जाएगी। लापरवाही की हद यह है कि घटना इसी संस्थान में कार्यरत एक नर्सिंग अधिकारी के साथ हुई। यह नर्सिंग अधिकारी प्रसव के लिए भर्ती हुई थी। रात के समय उनकी हालत खराब हो गई। लेकिन किसी वरिष्ठ डॉक्टर ने देखने की जहमत तक नहीं उठाई। इस लापरवाही का नतीजा यह हुआ कि बच्चे की मौत के बाद मां की धड़कनें भी रुक गईं। एम्स के कार्यकारी निदेशक की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति ने जांच की तो इस प्रकरण में पूरी तरह डॉक्टरों को ही जिम्मेदार पाया। जांच में सामने आया है कि आपातकालीन स्थिति में सीनियर डॉक्टर रात के वक्त अस्पताल नहीं पहुंचते। इस मामले में तो इलाज के प्रोटोकॉल का भी पालन नहीं किया गया। सुविधा संपन्न ओटी होने के बावजूद खराब ओटी में उसका आपरेशन किया गया। आपरेशन के वक्त एनेस्थीसिया के डॉक्टर भी वहां मौजूद नहीं थे। गायनी विभाग के सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर ने भी जनरल की बजाय लोकल एनेस्थीसिया देकर आपरेशन कर दिया गया। करीब डेढ़ माह पूर्व लोकनायक जयप्रकाश नारायण (एलएनजेपी) अस्पताल में भी डॉक्टरों की लापरवाही से पांच नवजातों की तबीयत बिगडऩे का मामला सामने आया था। गंभीर संक्रमण की हालत से जूझ रहे पांच नवजातों को इंजेक्शन के जरिए अमीकासीन और मेरोपेनेम की दवा दे दी गई थी। दवा देने के कुछ देर बाद ही बच्चों की हालत बिगडऩे लगी और एक नवजात की अगले दिन मौत भी हो गई। इस मामले की जांच रिपोर्ट में भी अस्पताल कर्मियों की ही लापरवाही सामने आई। पता चला कि इंजेक्शन में दवा के अनुपात का ध्यान ही नहीं रखा गया।
अगर धरती का भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर इस तरह लापरवाह होंगे तो फिर लोगों का उन पर से विश्वास भी उठने लगेगा। यह एक गंभीर मामला है। इस बाबत सरकार को फिर से नए सिरे से जिम्मेदारी तय करनी चाहिए और डॉक्टरों को भी नैतिकता के नाते अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। उन्हें यह समझना चाहिए कि उनकी थोड़ी सी लापरवाही किसी की जान ले सकती है। इसलिए उन्हें मरीज का इलाज करते समय पूरी सावधानी बरतनी चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : दिल्ली ]