-----ऐसी गड़बड़ी पकड़ने का जिम्मा जिस बाट-माप कार्यालय का है, उसके अधिकारी खुद नहीं समझ पाए कि आखिर तेल कैसे कम हो जा रहा है। -----राजधानी लखनऊ के सात पेट्रोल पंपों पर इलेक्ट्रानिक चिप के जरिये की जा रही तेल चोरी के मामले में पुलिस ने चार पेट्रोल पंप मालिकों व नौ पंप प्रबंधकों सहित 23 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। पूरे प्रकरण में अलग-अलग थानों में सात मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। आरोपितों के कब्जे से १५ इलेक्ट्रानिक चिप व २९ रिमोट बरामद हुए हैं। एक आरोपित ने पूरे प्रदेश में एक हजार से अधिक पेट्रोल पंपों में चिप लगाने की बात स्वीकार की है। ये लोग दिल्ली से 10 हजार रुपये में नई चिप खरीदकर लाते थे। पुरानी चिप पांच हजार तक में मिल जाती थी, जिसे मरम्मत कर काम लायक बना लिया जाता। आकलन के अनुसार प्रदेश में हर माह ग्राहकों को करीब 200 करोड़ का का चूना लगाया जा रहा था। जिन पेट्रोल पंपों में चिप लगाकर तेल चोरी की जा रही थी, वहां प्रति लीटर पेट्रोल व डीजल में छह से 10 प्रतिशत तक चोरी की बात सामने आई है। तेल चोरी उजागर होने से उपभोक्ता खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। ऐसी कोई तकनीक भी नहीं है कि वे पेट्रोल पंप पर वाहन में तेल भरवाते समय जांच सकें कि उनको तेल कम मिल रहा है। जब तक किसी बड़े बर्तन में तेल न लिया जाए, चोरी पकड़ पाना असंभव है। इस तरह की गड़बड़ी पकड़ने का जिम्मा बाट-माप कार्यालय का है लेकिन, उसके अधिकारी खुद नहीं समझ पाए कि आखिर तेल कैसे कम हो जा रहा है। बाट-माप विभाग के आंकड़े बताते हैं कि एक साल में प्रदेश के २२३ पेट्रोल पंपों में कम तेल दिए जाने के मामले तो पकड़े गए लेकिन, विभाग के निरीक्षक वजह नहीं पकड़ सके। पेट्रोल पंप मालिक इलेक्ट्रानिक चिप के जरिये सालों से उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डाल रहे थे और प्रशासन ने कार्रवाई के नाम पर कुछ नहीं किया। पूरे घोटाले की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन कर दिया गया है। इस गोरखधंधे में लिप्त अभियुक्त पकड़े जाएंगे पर ऐसे मामले फिर कभी न सामने आएं, इस वास्ते और भी चुस्त इंतजाम करने होंगे।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]