हाईलाइटर
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है तो शिक्षा का अधिकार अधिनियम को पूरे राज्य में प्रभावी बनाना होगा। निजी स्कूलों में शिक्षण शुल्क से लेकर अभिवंचित वर्ग के बच्चों के दाखिले में पारदर्शिता लानी होगी।
---------
निजी स्कूलों की मनमानी कोई नई बात नहीं। शिक्षा के क्षेत्र में असमानता बढ़ाने में इनकी भूमिका की चर्चा अक्सर होती है। इनके खिलाफ नियमों की अनदेखी की शिकायतें सामने आती रहती हैं। बात चाहे दाखिले में मनमानी की हो या नामांकन शुल्क-भवन विकास के नाम पर मोटी रकम वसूलने की, लोगों की धारणा यही रहती है कि निजी स्कूलों की मनमानी पर अंकुश लगाया ही नहीं जा सकता। इस धारणा को पश्चिम सिंहभूम जिला प्रशासन की कार्रवाई ने तोड़ा है। अभी तक होता यही रहा है कि जब कभी प्रशासन की ओर से कदम उठाने की कोशिश की गई तो निजी स्कूल नियम-कानून की दुहाई देकर खुद को बचाने की तरकीब निकालने में जुट गए। पश्चिम सिंहभूम जिला प्रशासन ने इस दिशा में एक नजीर पेश की है। प्रशासन ने एक साथ 38 निजी स्कूलों को गैरकानूनी घोषित कर बड़ा कदम उठाया है। इन स्कूलों पर शिक्षा का अधिकार अधिनियम की अनिवार्य शर्तों के उल्लंघन का आरोप जांच में प्रमाणित हुआ। इसी के बाद कार्रवाई हुई।
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना है तो शिक्षा का अधिकार अधिनियम को पूरे राज्य में प्रभावी बनाना होगा। निजी स्कूलों में शिक्षण शुल्क से लेकर अभिवंचित वर्ग के बच्चों के दाखिले में पारदर्शिता लानी होगी। इन स्कूलों को भी सरकारी कायदे कानून को मानना होगा। विडंबना है कि 2009 में बना शिक्षा का अधिकार अधिनियम अब भी पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका है। इसे लागू कराने के लिए राज्य के दूसरे जिलों में भी पश्चिम सिंहभूम की तरह कार्रवाई करनी होगी। यह समय की मांग है। इससे फायदा यह होगा कि प्रशासन द्वारा मांगी जानेवाली किसी भी सूचना को देने में निजी स्कूल आनाकानी नहीं करेंगे और गुमराह करनेवाली जानकारी देने से भी परहेज करेंगे।
अब समय आ गया है कि पूरी स्कूली शिक्षा व्यवस्था में नियमों को सख्ती से लागू किया जाए। ऐसा सिस्टम विकसित हो जिससे पूरे राज्य में जहां भी गड़बड़ी दिखे, उसे प्रभावी तरीके से दूर किया जा सके। यह तभी हो सकता है जब इस तरह के साहसिक कदम उठाए जाएं। ऐसी व्यवस्था बने कि निजी स्कूलों के तमाम कामकाज में पारदर्शिता आए। इससे जनता में शासन-प्रशासन की साख मजबूत होगी और स्कूली शिक्षा व्यवस्था में सुधार की आस जगेगी। न्यू झारखंड के सपने को साकार करने के लिए यह बेहद जरूरी है।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]