-----जाहिर है बिजली चोरी रोकने की पूरी जिम्मेदारी यूपी पावर कार्पोरेशन की बनती है। -----मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने सोमवार को लखनऊ में घोषणा की कि प्रदेश में बिजली की आपूर्ति के लिए कोई भी वीआईपी व्यवस्था नहीं रहेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जिस गांव में बिजली चोरी नहीं होगी, वहां 24 घंटे सप्लाई दी जाएगी। यानी मुख्यमंत्री ने आपूर्ति को बिल के साथ जोड़ दिया है। यह ठीक भी है क्योंकि जो लोग कटिया लगा कर या बिल अदा न कर भी बिजली का पूरा उपभोग कर रहे हैं, उन्हें बिजली मांगने का अधिकार नहीं है। उनकी चोरी के कारण नियमित रूप से बिल अदा करने वाला ईमानदार उपभोक्ता परेशानी में क्यों आए। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार सभी जिलों के वोट से बनती है, इसलिए किसी एक जिले को विशेष महत्व कैसे दिया जा सकता है और बिजली पर तो सबका अधिकार है। राजनीति का अब यह महत्वपूर्ण पक्ष है। ऐसी ही बात कानपुर में ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने भी कही कि ईमानदार उपभोक्ताओं को चौबीस घंटे बिजली दी जाएगी। जिस इलाके में बिजली चोरी होगी वहां कटौती की जाएगी। प्रदेश सरकार की यह मुहिम सफल होनी चाहिए, क्योंकि अधिसंख्य उपभोक्ता बिल अदा करते हैं अथवा अदा करना चाहते हैं। सोच बेशक अच्छी है लेकिन, यह योजना तभी अपने अंजाम तक पहुंच सकती है जब ३० प्रतिशत तक हो रहे लाइनलॉस को रोका जाएगा। इसी आंकड़े में पूरा खेल छुपा हुआ है। बिजली चोरी भी इसी में शामिल है। चोरी भी दो तरह से होती है, एक तो कटियाबाज हैं जिनकी जानकारी महकमे के लोगों को हमेशा नहीं हो पाती। अगर होती भी है तो बहुत नीचे के स्तर पर मगर दूसरे तरह की चोरी में तो चंद विभागीय कर्मचारी शामिल होते हैं और बाकायदा चोरी कराई जाती है। सवाल उठता है कि लाइनलॉस कौन रोकेगा। बहुत समय से इसके रोकने का संकल्प विभिन्न सरकारें जताती रही हैं लेकिन, उम्मीदों पर वे कभी खरी नहीं उतर पायीं। जाहिर है बिजली चोरी रोकने की पूरी जिम्मेदारी यूपी पावर कार्पोरेशन की बनती है। दशकों बीत गए मगर इसे बंद करना तो दूर, लाइन लॉस को कम तक नहीं किया जा सका है। प्रदेश सरकार को बिजली चोरी करने वाली जनता से निपटना ही होगा।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]