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हड़ताली कर्मचारियों की अनदेखी से आंदोलन उग्र हो रहा है। फीमेल मल्टीपर्पस वर्कर्स को एक साल से भी अधिक समय से वेतन नहीं मिलना चिंताजनक है
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फीमेल मल्टीपर्पस वर्कर्स को वेतन न मिलने के विरोध में छह दिनों से हड़ताल पर बैठे स्वास्थ्य कर्मियों के साथ अभी तक बातचीत न करना दर्शाता है कि सरकार को इसकी परवाह नहीं है। ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों में रोष उत्पन्न होना स्वभाविक है। यह बात किसी से छुपी नहीं है कि हड़ताल के कारण आम आदमी परेशान है और उसे इलाज के लिए दर-बदर होना पड़ रहा है। होना तो यह चाहिए था कि सरकार हड़ताली कर्मचारियों के साथ पहले दिन ही बातचीत कर उनकी समस्या का स्थायी समाधान करती, मगर लगातार उनकी उपेक्षा करने से आंदोलन हर दिन उग्र होता जा रहा है। परिवार कल्याण विभाग के अधीन काम कर रही इन कर्मचारियों को एक साल से भी अधिक समय से वेतन नहीं मिला है। यह पहली बार नहीं है कि उन्हें इसके लिए जिद्दोजहद करनी पड़ रही है। इससे पूर्व भी उन्हें कई बार वेतन के लिए सड़क पर उतरना पड़ रहा है। आए दिन ऐसी स्थिति उत्पन्न होना कर्मचारियों, सरकार और मरीजों किसी के लिए भी अच्छा नहीं है। स्वास्थ्य विभाग हर किसी की जिंदगी के साथ जुड़ा हुआ है। जम्मू-कश्मीर की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि मरीजों को अस्पतालों तक पहुंचने में घंटों लग जाते हैं। इस समय अधिकांश मरीजों के लिए इलाज का विकल्प मात्र राजकीय मेडिकल कॉलेज जम्मू ही है। ऐसे में मरीजों की परेशानी का सहज अंदाजा लगा जा सकता है। यह बात अच्छी है कि कर्मचारी अभी आपातकालीन सेवाओं में ड्यूटी दे रहे हैं और मेडिकल कॉलेज जम्मू में भी मरीजों का इलाज हो रहा है। मगर दूरदराज के क्षेत्रों में रहने वाले मरीजों के दर्द को कोई नहीं समझ पा रहा है। उन क्षेत्रों में तो इलाज के लिए कोई निजी अस्पताल भी नहीं है। विडंबना यह है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के अधिकारियों और मंत्री को मरीजों का दर्द नजर नहीं आ रहा है। इससे पहले की इस आंदोलन में मेडिकल कॉलेज जम्मू के कर्मचारी भी शामिल हो जाएं और स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ठप हों, मुख्यमंत्री को स्वयं इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए। राज्य सरकार के लिए महज डेढ़ से दो हजार कर्मचारियों के वेतन की समस्या का स्थायी समाधान करना कोई मुश्किल काम नहीं है। सरकार को बिना समय गंवाए हड़ताली कर्मचारियों के साथ बैठक कर वेतन की समस्या का स्थायी समाधान निकालना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]