-----जरूरी है कि टैक्स सिस्टम में सेंध लगाने वालों के खिलाफ कड़े दंड का प्रावधान भी अभी से कर लिया जाए। -----राज्यपाल राम नाईक ने मंगलवार को जो कुछ भी कहा, वह गंभीर विचार का विषय है। उप्र वाणिज्य कर सेवा संघ के वार्षिक अधिवेशन में उन्होंने कर चोरी की ओर इशारा किया। कहा कि जो कर ग्राहकों से वसूला जाता है, सरकारी खजाने में पहुंचने से पहले उसमें सेंध लगाने के कई और रास्ते बन गए हैं। वाणिज्य कर अधिकारियों से उन्होंने उम्मीद जताई कि वे न केवल इन रास्तों को बंद करना सुनिश्चित करेंगे, बल्कि यह भी देखेंगे कि वसूला गया कर सरकारी खजाने में जमा भी हो जाए। उनका यह कहना भी सही था कि राजस्व संग्रह पर सरकारें पर्याप्त ध्यान नहीं देतीं। देखा जाए तो हर सरकार की सोच यही होती है कि बिना टैक्स बढ़ाये अधिक राजस्व प्राप्त हो। सच तो यह है कि यदि कर वसूली सही ढंग से हो तो अनावश्यक टैक्स बढ़ाने की बहुत अधिक जरूरत ही नहीं पड़ेगी क्योंकि अब इतने तरह के टैक्स लगने लगे हैं कि आम आदमी भले ही उनका भुगतान करता हो पर उसके लिए इन सबका हिसाब रख पाना मुश्किल होता है। राज्यपाल का यह कहना कि विभिन्न कर जी का जंजाल बन गए हैं, कड़वी हकीकत है। आखिर कभी तो इस कठिनाई का कोई न कोई रास्ता निकालना ही था, जो अब वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के रूप में सामने आया है। इस एकीकृत कर व्यवस्था से निश्चित रूप से व्यापारियों, करदाताओं और विभागीय अधिकारियों के रास्ते आसान होंगे। फिलहाल इसे पुख्ता ढंग से और जल्द ही लागू करने की कवायद जोर-शोर से जारी है। पिछले अनुभवों को ध्यान में रखते हुए ही जीएसटी का ढांचा तैयार हो रहा है, लीकेज के बिंदुओं को बंद करने का पूरा प्रयास भी होगा लेकिन, रास्ते निकालने के माहिर लोगों की भी कमी नहीं है। ऐसे में जरूरी है कि टैक्स सिस्टम में सेंध लगाने वालों के खिलाफ कड़े दंड का प्रावधान भी अभी से ही कर लिया जाए। यह स्पष्ट संदेश जाना चाहिए कि जनता के हितों से खिलवाड़ राष्ट्रद्रोह माना जाएगा। इसलिए राज्यपाल ने जो कहा उस पर विभागीय अधिकारी कार्रवाई भी करेंगे, ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए। अधिकारी चाहें तो कर चोरी रोकना कोई कठिन काम नहीं।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]