ममता बनर्जी सरकार की कन्याश्री योजना को अंतरराष्ट्रीय मंच से जो सर्वोच्च अवार्ड मिला है उसका उल्लेख अब स्कूली पाठ्यक्रमों में होगा। सरकार पांचवी कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा तक के पाठ्यक्रम में इसको शामिल करेगी। शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी का तर्क है कि पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्रसंघ की ओर से नीदरलैंड के शहर हेग में आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने यह सर्वोच्च अवार्ड प्राप्त किया। यह गर्व की बात है। इसलिए इसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्णय किया गया है। मुख्यमंत्री ने किस तरह राज्य में लड़कियों के हित में कल्याणकारी योजनाएं लागू कीं इसके बारे में स्कूली बच्चों को जानकारी होनी चाहिए।

शिक्षा मंत्री का तर्क अपनी जगह सही हो सकता है। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इस एकमात्र मानदंड के आधार पर उसे स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल कर दिया जाए। छात्र-छात्रओं को दलगत और जाति धर्म की भावना से ऊपर उठ कर शिक्षा ग्रहण करने का अधिकार है। इसलिए कौन से विषय को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए और किसे नहीं किया जाए इसके लिए सिलेबस कमेटी होती है जिसमें शिक्षाविद और विशेषज्ञों को भी रखा जाता है। सिलेबस कमेटी के चेयरमैन अभीक मजूमदार ने भी कहा है कि कन्याश्री योजना को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। हालांकि कन्याश्री योजना का थोड़ा-बहुत उल्लेख पहले से ही पाठ्यक्रम में है। अब इसका विस्तृत पाठ होगा जिसमें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के यूनएओ के मंच से सर्वोच्च अवार्ड प्राप्त करने का भी उल्लेख होगा। जाहिर है शिक्षा मंत्री ने जो कहा है उसे सिलेबस कमेटी के चेयरमैन ने भी स्वीकार कर लिया है।

दरअसल ममता बनर्जी सरकार अपनी उपलब्धियों को इतिहास में दर्ज कराना चाहती हैं। सिंगुर में भूमि आंदोलन को भी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। अब जब ममता बनर्जी सरकार अपनी उपलब्धियों को पाठ्यक्रम में शामिल करेंगी तो पिछली वाममोर्चा सरकार की उपलब्धियों को शामिल करने की मांग भी उठेगी। वैसे भी वाममोर्चा के चेयरमैन विमान बोस ने दावा किया है कि कन्याश्री योजना वाममोर्चा सरकार की देन है। वाममोर्चा ने इसे 2008 में शुरू किया था। बोस की बातों में जरा भी सच्चाई है तब तो पाठ्यक्रम में इसका भी उल्लेख करना होगा। छात्रों का स्कूली पाठ्यक्रम विवाद का विषय नहीं बने इसलिए राजनीतिक विषय से जुड़े मुद्दे को पढ़ाई से अलग ही रखा जाना चाहिए।

    [ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल]