(हाईलाइटर-जाहिर है ममता की केंद्र विरोधी मुहिम अभी बंद नहीं हुई है। इसके पहले उन्होंने नोटबंदी का जोरदार विरोध किया था। नोटबंदी वापस लेने के लिए उन्हें देशव्यापी आंदोलन चलाने की कोशिश की थी)

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्कूली छात्रों को मिलनेवाले मीड डे मील के लिए आधार कार्ड अनिवार्य करने को कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि इस तरह का नियम लागू करना गरीब बच्चों का हक मारना है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर तृणमूल कांग्रेस की ओर से सोमवार को महानगर में जुलूस निकाला गया जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता व आम पार्टी कार्यकर्ता भी शामिल हुए। तृणमूल कांग्रेस का विरोध यहीं तक सीमित नहीं है। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता डेरेक ओब्रायन ने कहा है कि वह इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे। राज्यसभा में वह इस मुद्दे पर बहस कराने की मांग करेंगे। जाहिर है ममता की केंद्र विरोधी मुहिम अभी बंद नहीं हुई है। इसके पहले उन्होंने नोटबंदी का जोरदार विरोध किया था। नोटबंदी वापस लेने के लिए उन्हें देशव्यापी आंदोलन चलाने की कोशिश की थी। नोटबंदी पर देशव्यापी उनके आंदोलन को पूरा समर्थन नहीं मिला। लेकिन पश्चिम बंगाल में उनका आंदोलन असरदार रहा। नोटबंदी तो वापस नहीं हुई लेकिन ममता प्रखर मोदी विरोधी नेता के रूप में जानी जाने लगीं। वह अपनी इस छवि को बहाल रखना चाहती हैं। इसका राजनीतिक कारण है। राज्य की राजनीति में विपक्षी दल कमजोर हैं। कांग्रेस यहां भले ही मुख्य विरोधी दल है लेकिन उसमें जिस तरह से टूट जारी है उससे उसके अस्तित्व पर सवाल पैदा हो गया है। अब तक छह कांग्रेस विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। निकट भविष्य में वामपंथियों का फिर पश्चिम बंगाल में जनाधार बढ़ेगा इसकी अभी कोई संभावना नहीं है। इसलिए ममता राज्य में कांग्रेस और वाममोर्चा को महत्व नहीं दे रही हैं। जिस तरह भाजपा बंगाल की मिïट्टी में पनप रही है उससे ममता को भय है कि कहीं वह राज्य में मजबूत विरोधी दल की जगह न बना ले। इसलिए ममता का एकमात्र उद्देश्य अब भाजपा को रोकना है।
सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए जब केंद्र ने आधार कार्ड को अनिवार्य बनाने का फैसला कर लिया है तो उसे चरणबद्ध रूप में लागू करने में किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने मिड डे मील योजना पर बच्चों का आधार कार्ड बनाने के लिए जो 30 जून तक का समय दिया है तो इसे पूरा करने का का प्रयास नहीं कर विरोध में सड़क पर उतर जाने का कोई औचित्य नहीं है।

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]