इतने बड़े आयोजन में बार-बार अव्यवस्था आयोजन समिति पर सवाल खड़े करती है। यदि पहले से ही समुचित मॉनीटरिंग की जाती तो अव्यवस्था सामने नहीं आती।

----------

खेलगांव में शुरू हुए राष्ट्रीय युवा महोत्सव में समुचित मॉनीटरिंग की कमी और भारी अव्यवस्था के कारण झारखंड को एक बार फिर शर्मसार होना पड़ा। इससे कुछ माह पूर्व नेशनल गेम्स फॉर डीफ में भी लगभग यही स्थिति सामने आई थी। भोजन, पानी, बिजली, शौचालय और रहने की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण विभिन्न राज्यों से आए खिलाडिय़ों ने सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया था। इसके बाद सरकार ने आयोजन की जिम्मेदारी अपने हाथ में ली थी।

इस बार राष्ट्रीय युवा महोत्सव में फिर व्यवस्था की खामी उजागर हुई। इतने बड़े आयोजन में बार-बार अव्यवस्था आयोजन समिति पर सवाल खड़े करती है। यदि पहले से ही समुचित मॉनीटरिंग की जाती तो अव्यवस्था सामने नहीं आती। युवा महोत्सव में विभिन्न राज्यों से यहां 90 टीमें पहुंची हैं। अव्यवस्था के कारण टीमों में आक्रोश है। व्यवस्था से आहत एक टीम होटल में शरण ले चुकी है जबकि कम से कम आधा दर्जन टीमें होटल तलाश रही हैं। दरअसल, यहां शौचालयों की सफाई तक के लिए खास इंतजाम नहीं हैं। खिलाडय़ों के सामान की सुरक्षा की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। ठहराने के नाम पर एक-एक कमरे में 60-60 प्रतिभागियों को ठूंसा गया है। जिससे आपाधापी की स्थिति बन गई। पानी की आपूर्ति भी अनियमित है। मोबाइल चार्जिंग की भी व्यवस्था नहीं है। आयोजन में व्याप्त कुव्यवस्था से रांची विश्वविद्यालय भी सवालों के घेरे में है। कारण, आयोजन की अगुवाई रांची विश्वविद्यालय कर रहा है।

होटल में रह रही चंडीगढ़ की टीम के मैनेजरों का यह कहना कि दिन भर आयोजन में भाग लेने के बाद रात को वे होटल चले जाते हैं और सुबह ही वापस आयोजन स्थल आते हैं, यहां तक कि होटल में रहने का खर्च वह भी स्वयं ही उठा रहे हैं। इससे यहां की लचर व्यवस्था की सारी कलई खुद ब खुद खुल रही है। यह स्थिति और भी शर्मनाक है कि चंडीगढ़ टीम के मैनेजरों ने कई बार अव्यवस्था की शिकायत की लेकिन प्रबंधन से कोई सकारात्मक जवाब ही नहीं मिला। इसके बाद ही टीम ने होटल जाने का फैसला लिया। बदइंतजामी का आलम यह है कि खेलगांव में सुरक्षा और स्वच्छता की तो कमी है ही बिजली नहीं रहने के कारण प्रतिभागियों को मोबाइल की रोशनी के सहारे रात गुजारने को मजबूर होना पड़ा। इसी वजह से अब वे आयोजन स्थल में नहीं रहना चाहते। इतना ही नहीं इस अव्यवस्था से परेशान कश्मीर के प्रतिभागी खेलगांव से बाहर निकल गए। राज्य की सुस्त अफसरशाही के मुंह पर यह स्थिति जोरदार तमाचा है। साथ ही इस बात पर भी गंभीरता से सोचना कि क्या बार-बार ऐसी सूरत में अगली बार बाहरी राज्यों की टीमें यहां आएंगी।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]