आज से 17 साल पहले भारत के मानचित्र पर एक साथ तीन राज्यों का उदय हुआ था। झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड। राजनीतिक अस्थिरता की वजह से बिहार से अलग होने के बाद झारखंड अपने बाल्यकाल से किशोरावस्था तक उस तरह प्रगति नहीं कर सका जिस तरह छत्तीसगढ़ ने किया। ऐसा नहीं है कि राज्य बनने के बाद यहां विकास नहीं हुआ। कम समय में छत्तीसगढ़ जहां अपनी पहचान विकसित राज्यों में शुमार करने में सफल रहा वहीं झारखंड की पहचान पिछड़े राज्यों में होती रही। प्रदेश का नाम पूरे देश में घपले-घोटाले और भ्रष्टाचार को लेकर बदनाम हुआ। इन सब की मूल वजह राजनीतिक अस्थिरता रही। किसी भी दल को पूर्ण बहुमत न मिल पाना और जोड़-तोड़ की सरकार चलने के कारण भ्रष्टाचारियों को मौका मिला। अकूत खनिज संपदा व पर्याप्त संसाधन होने के बावजूद यहां के आम लोग गरीबी का दंश ङोलने को मजबूर रहे। स्थापना के 18वें वर्ष में प्रवेश करनेवाला झारखंड अब वयस्क होने को है। वयस्क हो रहे झारखंड की कमान मुख्यमंत्री रघुवर दास के हाथ में है। पहली बार बहुमत की सरकार है। उनके कार्यकाल में झारखंड की छवि बेहतर हुई है। बड़े निवेशक अब राज्य का रुख करने लगे हैं। नक्सलियों का खौफ कम हुआ है। अब झारखंड विकास की राह पर चल पड़ा है। हालांकि अभी शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति में काफी सुधार बाकी है। सच्चाई यह भी है कि गरीबों के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंच पा रहा है। सरकार प्रयास तो कर रही है, लेकिन अफसरों व बिचौलियों की वजह से यह धरातल पर नहीं उतर पा रही। वर्तमान में आमलोगों को ध्यान में रखते हुए जितनी योजनाएं चलाई जा रही हैं, उन पर अगर सही तरीके से अमल हो तो राज्य की दशा और दिशा दोनों ही बदल जाएगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति को रघुवर सरकार ने स्थापित किया है। सीएम जनसंवाद सरीखे कार्यक्रमों का आयोजन कर आम गरीबों तक सीधी पहुंच और उनकी शिकायतों पर तत्काल कार्रवाई कर आमलोगों में शासन के प्रति विश्वास जगाने की कोशिश की जा रही है। इसके साथ ही सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि विकास के लिए जितनी भी घोषणाएं की जा रही हैं, उसे अपने कार्यकाल में ही धरातल पर उतारे। वैसे सरकारी कर्मियों, संवेदकों और डीलरों पर कड़ी कार्रवाई करनी होगी जो इसमें बाधक बन रहे हैं। तभी विकसित झारखंड का सपना पूरा हो सकेगा।

[ स्थानीय संपादकीय: झारखंड ]