इस बार भी जैक बोर्ड के मैट्रिक और इंटर के खराब रिजल्ट को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि शिक्षा प्रणाली में अब गुणात्मक सुधार हो। हालांकि सरकार की ओर से यह प्रयास शुरू कर दिया गया है। इसके तहत खराब रिजल्ट देने वाले शिक्षक और शिक्षा पदाधिकारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। खराब रिजल्ट देनेवाले शिक्षकों को सुदूर गांव भेजने का निर्णय लिया गया है। सरकार का यह कदम सराहनीय है। इससे लापरवाह शिक्षक भी आगे गंभीरता से शिक्षण कार्य करेंगे। इसके साथ ही सरकार ने प्रदेश के 263 सरकारी स्कूलों को निजी स्कूलों की तर्ज पर विकसित करने का निर्णय लिया है। ये सरकारी स्कूल 'झारखंड पब्लिक स्कूल' में बदलेंगे। इसके तहत न केवल इन स्कूलों के नाम में बदलाव होगा, बल्कि ये स्कूल मॉडल स्कूल के रूप में विकसित किए जाएंगे। प्रत्येक प्रखंड से एक-एक स्कूल को चिह्नित कर लिया गया है, जिसका जीर्णोद्धार कर उसे विशेष साज-सज्जा देकर विकसित किया जाएगा। उनमें साइंस सेंटर, आधुनिक लाइब्रेरी से लेकर तमाम साधन उपलब्ध कराए जाएंगे जो निजी स्कूलों में उपलब्ध होते हैं। इन स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई होगी। बकायदा अंग्रेजी माध्यम में पाठ्यपुस्तक तैयार करने की जिम्मेदारी जेसीईआरटी को दी गई है। राज्य सरकार ने इन स्कूलों का चयन कर लिया है। इसपर कैबिनेट की स्वीकृति बची है। यह काफी अभिनव प्रयोग होगा। ऐसा होने पर सरकारी स्कूल भी निजी स्कूलों की तरह बेहतर रिजल्ट दे पाएंगे। खास यह कि इस अभिनव प्रयोग से गांव के बच्चों में भी आमूलचूल परिवर्तन होगा। सीबीएसई पैटर्न पर बच्चों की पढ़ाई जरूरी है, ताकि वे प्रतियोगी परीक्षाओं में भी अपनी प्रतिभा दिखा राज्य को गौरवान्वित कर सकें। सरकार भी मानती है कि वर्तमान राज्यस्तरीय शिक्षा प्रणाली देश की मुख्य धारा की शिक्षा के साथ कदमताल नहीं बैठा पा रही है। इसके साथ ही बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों के विषय में भी गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। यह देखना होगा कि क्या हमारे शिक्षक अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों की तरह पूरी तरह ट्रेंड हैं, बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से गुणात्मक शिक्षा देने के लिए क्या वे पूरी तरह तैयार हैं। यदि नहीं, तो उन्हें इस बाबत समुचित प्रशिक्षण देना होगा। तभी सरकार की यह परिकल्पना धरातल पर उतर पाएगी। अब आगे शिक्षकों की नियुक्ति में भी शैक्षणिक योग्यता के साथ इंटरव्यू में भी उन्हें हर कसौटी पर तौलना होगा। जिससे वे बच्चों को बेहतर शिक्षा दे सकें।
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प्रदेश के मौजूदा शिक्षा प्रणाली को सरकार भी सही नहीं मानती। सीबीएसई पैटर्न पर बच्चों की पढ़ाई जरूरी है। झारखंड पब्लिक स्कूल इसकी एक बानगी है।

[ स्थानीय संपादकीय : झारखंड ]