राज्य में बजट आम जनता की उम्मीदों पर खरा उतरे, इसके लिए सरकार को सब्जबाग दिखाने की कोशिशों से परे जाकर काम करने की जरूरत है। नए वित्तीय वर्ष में बजट आकार बीते वित्तीय वर्षों की तुलना में ज्यादा रखने की लीक पीटने से बेहतर है कि इसे ठोस रूप में पेश किया जाए।

प्रदेश का बजट नए वित्तीय वर्ष में व्यावहारिक और ठोस आकार के साथ आएगा, ऐसी उम्मीद की जानी चाहिए। बेहतर होगा कि नई सरकार पिछली खामियों से सबक लेकर बजट को सिर्फ ख्वाब जगाने तक सीमित न करे और विकास कार्यों को धरातल पर उतारने की दिशा में शिद्दत से कोशिश की जाए। पिछले कई वर्षों से बजट आकार को भारी-भरकम रखने पर जोर दिया जाता रहा है। सरकार की इस पूरी कवायद में उसकी योजनाओं और लक्ष्य पर महकमों की सुस्ती हावी दिखाई देती रही है। इसके बेहद चिंताजनक रहे हैं। विकास कार्यों का खाका जितना बेहतर तरीके से कागजों पर खींचा गया, हकीकत एकदम उलट रही है। योजनाकार बढ़ाने और प्लान मद में ज्यादा बजट प्रावधान को वास्तविकता से दूर रखकर विकास की गुलाबी रंगत दिखाने पर जितना जोर रहा, बजट खर्च का सच असलियत को उधेड़ता रहा है। कृषि, पशुपालन, सिंचाई, स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यटन, पेयजल, ऊर्जा जैसे बुनियादी क्षेत्रों से संबंधित महकमों ने बजट खर्च को लेकर गंभीरता दर्शाने के बजाए उदासीनता बरत रहे हैं। एक ओर सरकार उक्त क्षेत्रों में बेहतर कामकाज और परिणाम का दावा कर रही है, लेकिन बजट खर्च के आंकड़े इससे मेल नहीं खाते। चालू वित्तीय वर्ष में भी राज्य सरकार ने केंद्रपोषित योजनाओं पर अति उत्साह में कुछ ज्यादा ही भरोसा दिखाया। नतीजा भारी-भरकम बजट आकार के रूप में सामने आया है। संभवत: विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर केंद्रपोषित योजनाओं के लिए केंद्र सरकार का पिटारा खुलने की उम्मीद की गई, लेकिन केंद्र से उम्मीदें पूरी नहीं हुईं। इससे सबक लेकर अब बजट आकार को कम किए जाने पर जोर दिया जा रहा है। चूंकि, नए बजट में प्लान और नॉन प्लान मद को खत्म किए जाने का फैसला लिया जा चुका है, इसलिए सरकार को खासतौर पर प्लान मद में कम खर्च को लेकर पडऩे वाले दबाव से राहत रहेगी। लेकिन, इसका असर महकमों की बजट खर्च को लेकर जवाबदेही कम होने के रूप में सामने नहीं आना चाहिए। अभी तक महकमे विकास कार्यों को अंजाम देने और इससे संबंधित योजनाओं में अधिक बजट खर्च को लेकर सरकार की सीधी निगरानी में रहे हैं। इसके बावजूद महकमों की सुस्ती जन कल्याण योजनाओं पर भारी पड़ी है। नई व्यवस्था में महकमों पर निगहबानी ढीली न हो और उसे चुस्त-दुरुस्त बनाने के बारे में सरकार को अधिक सजग होने की दरकार है। उम्मीद की जानी चाहिए कि राज्य के व्यापक हित में नई सरकार इस मामले में अधिक पारदर्शिता से काम करेगी।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तराखंड ]