पश्चिम बंगाल में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस), विश्व हिंदू परिषद (विहिप), बजरंग दल जैसे संगठन पूरी तरह से सक्रिय हो चुके हैं। इन संगठनों की जारी गतिविधियों से भाजपा के लिए लोगों के बीच पैठ बनाना आसान हो रहा है। रामनवमी व हनुमान जयंती के साथ भाजपा के केंद्रीय नेताओं को लगातार बंगाल दौरे से तृणमूल तो परेशान है ही। कांग्रेस व वामपंथी दल भी बेचैन हो उठे हैं। ऐसे में बंगाल में सियासी तपिश बढऩा लाजिमी है। रामनवमी के मौके पर जिस तरह से संघ, विहिप व भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं द्वारा हाथों में शस्त्र लेकर जुलूस निकाले गए और उसके बाद जो प्रतिक्रिया आई, उससे प्रमाणित हो गया कि गेरुआ का बढ़ता प्रभाव देख धर्मनिरपेक्ष होने का दावा करने वाली राजनीतिक पार्टियां काफी चिंतित हैं। तृणमूल सरकार ने दबाव बनाने के लिए शस्त्र जुलूस को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष समेत कई लोगों के खिलाफ विभिन्न थानों में प्राथमिकी दर्ज कराई है। यही नहीं हनुमान जयंती पर शस्त्र जुलूस निकालने के मामले में कोलकाता के काशीपुर-चितपुर इलाके से दो भाजपा नेताओं व चार बरंगदल कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार भी किया गया है। वीरभूम जिले के सिउड़ी में हनुमान जयंती पर जुलूस निकालने की अनुमति नहीं दी गई और जुलूस निकला तो लाठीचार्ज किया गया। वहीं भाजपा ने भी ममता सरकार पर दबाव बनाने के लिए बुधवार को धर्मतल्ला से रवींद्रसदन तक विशाल जुलूस निकाला और नारद कांड के आरोपी मंत्रियों को बर्खास्त कर उन्हें गिरफ्तार करने की मांग की। एक तरफ भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश तृणमूल कर रही है तो दूसरी ओर गुरुआ खेमा भी पीछे नहीं है। इस समय अखबारों से लेकर टीवी चैनलों तक पर तृणमूल व भाजपा के बीच जारी सियासी सरगर्मी ही सुर्खियां बन रही है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दो दिन पहले जब आठ माह बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की तो लगा कि भाजपा व तृणमूल के बीच जारी घमासान में कुछ कमी आएगी। परंतु, दोनों ही दलों के तेवर नरम नहीं हुए हैं। सियासी विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा को बैठे-बिठाए ही प्रचार मिल रहा है। खुद मुख्यमंत्री भी हर सभा में भाजपा पर हमले से पीछे नहीं हट रही हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर यह सियासी तपिश कब ठंडी होगी? इस का फायदा कितना बंगाल भाजपा के नेता उठा पाएंगे? क्या तृणमूल को नुकसान होगा? यह तो आगामी वर्ष होने वाले पंचायत चुनाव में ही पता चलेगा।
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(हाईलाइटर:::एक तरफ भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश तृणमूल कर रही है तो दूसरी ओर गुरुआ खेमा भी पीछे नहीं है। इस समय अखबारों से लेकर टीवी चैनलों तक पर तृणमूल व भाजपा के बीच जारी सियासी सरगर्मी ही सुर्खियां बन रही है।)

[ स्थानीय संपादकीय : पश्चिम बंगाल ]