इन दिनों राज्य के विभिन्न हिस्सों में पुलिस और प्रशासन के लोगों पर हमले बढ़े हैं। शराब के खिलाफ अभियान हो या अवैध खनन को रोकने का प्रयास, अवैैध कारोबारी बेधड़क अधिकारियों और पुलिस की टीम पर हमले कर रहे हैं। सोमवार को सारण और रोहतास में ऐसे हमले हुए। दोनों जगह अवैध खनन के धंधेबाजों ने टीम पर हमला बोला। रोहतास में दवनपुर-अमरा तालाब के बीच अवैध पत्थर लदे ट्रैक्टरों को जब्त करने धमकी खनन विभाग की टीम पर ईंट-पत्थर से हमला हुआ। हमले में सैप और होमगार्ड के जवान घायल हो गए। टीम के वाहन को भी क्षतिग्र्रस्त कर दिया गया। हालात ये बने कि खनन इंस्पेक्टर को जान बचाकर भागना पड़ा। हमलावर पत्थर लदे दो ट्रैक्टर भी छुड़ा ले गए। काफी संघर्ष के बाद तीन में एक ट्रैक्टर घायल जवान थाने ला सके। गौरतलब है कि ऐसे हमले सारण में ज्यादा दिख रहे। इस जिले में प्राय: हर दूसरे दिन पुलिस के साथ अवैध कारोबारियों की भिड़ंत हो रही है। सोमवार को डोरीगंज में तिवारी घाट के पास जब्त बालू उठाने गई पुलिस टीम पर ईंट-पत्थर से हमला बोल दिया गया। सरकारी बसों और निजी वाहनों पर भी हमले हुए। हालात इस कदर बिगड़े कि पुलिस को हवाई फायङ्क्षरग करनी पड़ी। अश्रु गैस के गोले दागने पड़े। अवैध कारोबारियों पर नियंत्रण के दौरान थानाध्यक्ष सहित कई पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। इसके पीछे जाएं तो शुक्रवार को सारण के ही मिर्जापुर गांव में शराब की खेप पकडऩे गई पुलिस पर हमला हुआ। पुलिस के दो जवान घायल हो गए। इसी जिले के डोमवा घाट पर पिछले बुधवार को बालू के धंधेबाजों ने पुलिस पर हमला बोला। हमले में चालक समेत पुलिस के तीन जवान घायल हो गए। हालांकि पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। ऐसी खबरों का कवरेज करने वाले पत्रकार भी हमलावरों के निशाने पर हैं। नवादा में पत्रकार पर जानलेवा हमले में शराब के कारोबारियों की संलिप्तता उजागर हुई है। सारण के तिवारी घाट में हुए हमले में भी पत्रकार निशाने पर रहे। ये घटनाएं सवाल भी खड़े करते हैं कि कहीं इन दबंग धंधेबाजों को पुलिस और पत्रकारों पर हमले का राजनीतिक शह तो नहीं मिल रहा। इसकी गंभीरता से जांच होनी चाहिए। साथ ही हमलावरों के खिलाफ यथाशीघ्र कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। कार्रवाई की त्वरा ही इन दबंगों का मनोबल तोड़ेगी। यदि तत्काल इस ओर कदम न उठाए गए तो दिनोंदिन स्थिति गंभीर होती जाएगी, जिसका नुकसान जानमाल के रूप में भी सामने आ सकता है।
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हाईलाइटर
शराब और अवैध खनन के खिलाफ अभियान पर दबंगों की ङ्क्षहसक प्रतिक्रिया यह सोचने पर मजबूर करती है कि कहीं इन्हें उकसाया तो नहीं जा रहा। ऐसी अराजक शक्तियों को सख्ती से कुचलने की जरूरत है। यह चिंता का विषय है कि दिनोंदिन पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों पर हमले बढ़ रहे हैं। पत्रकारों को भी नहीं बख्शा जा रहा।

[ स्थानीय संपादकीय: बिहार ]