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जम्मू-कश्मीर में एकतरफा कार्रवाई से जम्मू के व्यापारी ठगा महसूस कर रहे, राजस्व भी जम्मू दे और चाबुक भी जम्मू ही सहे, आयकर विभाग को कार्य करने के तरीके में बदलाव लाना चाहिए
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नोटबंदी के बाद आयकर सर्वे से जम्मू के व्यापारियों को दोहरी मार पड़ रही है, जिससे वे सरकार के रवैये से पिसा हुआ महसूस कर रहे हैं। सरकार की कोई भी योजना हो, उसे सफल बनाने में हर बार अपनी राष्ट्रीयता का प्रमाण देते हुए जम्मू का व्यापारी बढ़चढ़ कर योगदान देता है लेकिन बदले में हमेशा सरकारी चाबुक और भेदभाव ही मिलता है। इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। केंद्र की मोदी सरकार ने जब काले धन को बाहर लाने के लिए पिछले साल 'आय घोषणा योजना' शुरू की तो जम्मू के व्यापारियों ने स्वेच्छा से अपनी संपत्ति का खुलासा करते हुए राष्ट्र निर्माण के लिए टैक्स दिया। आयकर विभाग जम्मू-कश्मीर को 100 करोड़ का लक्ष्य मिला लेकिन इस योजना के तहत राज्य में 224.52 करोड़ रुपये का टैक्स जमा हुआ। इस योजना के तहत 611 लोगों ने अपनी संपत्ति का खुलासा किया, जिसमें नब्बे फीसद लोग जम्मू संभाग के थे। इतना करने के बाद जम्मू के व्यापारियों को लग रहा था कि शायद अब सरकार उन्हें अकारण तंग नहीं करेगी। लेकिन अब नोटबंदी के बाद आयकर विभाग ने ताबड़तोड़ सर्वे शुरू कर दिए हैं। अभी तक जम्मू संभाग में बीस से अधिक सर्वे हो चुके हैं लेकिन कश्मीर में न तो कोई आय घोषणा योजना के तहत सामने आया और न ही आयकर विभाग की अभी तक इतनी हिम्मत हो पाई है कि कश्मीर जाकर कोई सर्वे कर सके। इसमें भी कोई दो राय नहीं कि कर चोरी करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अनिवार्य है लेकिन अगर यह कार्रवाई निष्पक्ष व सबके लिए एक समान हो तो वाजिब दिखती है। जम्मू-कश्मीर में एकतरफा कार्रवाई से जम्मू के व्यापारी खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। ऐसे में जम्मू का आम व्यापारी सरकार की इस दोहरी मार से तड़प रहा है। हर जुबान पर एक ही बात है कि राजस्व भी जम्मू दे और चाबुक भी जम्मू ही सहे। आयकर विभाग को चाहिए कि अपने काम के तरीके में बदलाव लाए। आयकर सर्वे सिर्फ जम्मू तक ही सीमित न रहकर राज्य के अन्य हिस्सों में भी हो। यह भी जरूरी है कि अगर किसी व्यापारी का खाता संदिग्ध पाया जाता है तो आयकर सर्वे करने से पूर्व उस व्यापारी को बकायदा नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाए। सर्वे के बाद चाहे कुछ सामने आए या न आए, लेकिन एक बार जिसकी दुकान पर आयकर विभाग की टीम पुलिस दलबल के साथ पहुंचती है, समाज उसे चोर की निगाहों से देखने लगता है। इसलिए जरूरी है कि विभाग कर वसूली के लिए एक ऐसा माहौल बनाए, जिसमें लोग स्वेच्छा से टैक्स देने के लिए आगे आए।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]