रिकार्ड बहुमत के साथ सत्ता में आई उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने अपना सौ दिन का कार्यकाल पूरा कर लिया। चुनाव के वक्त किए गए वादों को पूरा करने के भाजपा सरकार के दावों की बात अलग है, लेकिन इतना जरूर है कि इस छोटी सी अवधि में भी सरकार कई मोर्चो पर कामयाबी के साथ कदम बढ़ाती नजर आई है। सरकार अपने पहले ही विधानसभा सत्र में भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए लोकायुक्त विधेयक लेकर आई। दूसरा महत्वपूर्ण तबादला विधेयक भी विधानसभा में पेश किया गया।

पारदर्शी कार्यप्रणाली के लिए ये दोनों ही विधेयक अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। हालांकि फिलहाल दोनों विधेयक पारित नहीं हो पाए हैं लेकिन तय है कि अगले विधानसभा सत्र में इन्हें पारित करा लिया जाएगा। विधानसभा चुनाव के वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनसभाओं में जिस डबल इंजन, यानी केंद्र व प्रदेश में एक ही दल की सरकार, का जिक्र किया था, उसका असर भी पिछले सौ दिनों में दिखा है। खासकर, चारधाम सड़क परियोजना और ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन के निर्माण को लेकर जो तेजी नजर आ रही है, उससे सूबे की जनता को उम्मीद बंध रही है कि अगले कुछ सालों में पहाड़ी जिलों में परिवहन के हालात काफी कुछ सुधर जाएंगे।

यही नहीं, वर्षो से लंबित मुजफ्फरनगर-देवबंद-रुड़की रेल लाइन के निर्माण को भी केंद्र सरकार ने हरी झंडी दे दी है। इस रेल मार्ग के निर्माण से दिल्ली से देहरादून के सफर में लगने वाले वक्त में दो घंटे की बचत हो जाएगी। यानी, चारधाम यात्र और सामरिक लिहाज से भी इस रेल मार्ग के निर्माण को महत्वपूर्ण कहा जा सकता है। साथ ही, राज्य में एयर कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए भी केंद्र ने सकारात्मक संकेत दिए हैं। उत्तराखंड में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बेहतर नहीं कही जा सकती और इसका मुख्य कारण है डॉक्टरों की भारी कमी।

कड़ा फैसला लेते हुए सरकार ने एक साथ लगभग ढाई सौ डॉक्टरों के तबादले कर दिए। लंबे समय से लटकी पड़ी कई बांध परियोजनाओं के निर्माण का रास्ता भी नई सरकार आने के बाद साफ हुआ है। राज्य गठन के बाद से अब तक उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के बीच परिसंपत्तियां का मामला उलझा हुआ है, अब नई सरकार ने इस ओर भी कदम बढ़ाए हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि शुरुआती सौ दिन के बाद भी राज्य सरकार और सक्षमता के साथ काम करती नजर आएगी।

[उत्तराखंड संपादकीय]