रंग और उमंग का अनूठा पर्व हमारा स्वागत कर रहा है। वैसे तो हमारे सारे त्योहार जीवन की एकरसता तोड़ते हैं, लेकिन होली यह काम सबसे प्रभावी ढंग से करती है। यह त्योहार केवल ठहरकर मुक्त मन से उल्लासित होने का अवसर ही नहीं प्रदान करता, बल्कि यह भी कहता है कि मानव मात्र में कहीं कोई भेद नहीं। न कोई ऊंचा है और न नीचा। किसी से बैर नहीं और सबसे मैत्री का भाव जगाने वाले इस पर्व को न केवल पूरे उल्लास से मनाना चाहिए, बल्कि यह संदेश भी ग्रहण करना चाहिए कि होली पर हंसी-ठिठोली के साथ सामाजिक सद्भाव का जो वातावरण निर्मित होता है, वह सदैव हमारे जीवन का हिस्सा बना रहे। रंग-उमंग के बीच सगे-संबंधियों और यहां तक कि अजनबियों से मिलने-जुलने का अवसर उपलब्ध कराने वाली होली संबंधों को प्रगाढ़ करने का एक सशक्त माध्यम भी है। होली मानव मन के कई बंधन तोड़ती है, लेकिन इसका यह अर्थ बिल्कुल भी नहीं कि किसी के मान-सम्मान की परवाह न की जाए। होली पर हंसी-ठिठोली का हंगामा होता है, लेकिन यह हुड़दंग का पर्याय कदापि नहीं होना चाहिए। होली सबको अपनी-अपनी तरह से उल्लास व्यक्त करने की छूट तो देती है, लेकिन मान-सम्मान के दायरे में।

अन्य पर्वों की तरह होली भी हमारी समृद्ध परंपरा और सदियों पुरानी विरासत का स्मरण कराती है। होली पर फिल्मी गीत ही नहीं, सदियों पुराने लोकगीत भी गुंजायमान होते हैं। इन लोकगीतों को सहेजने की आवश्यकता है। होली के अवसर पर मुक्त कंठ से गाई जाने वाली फाग, उड़ते रंग-गुलाल के बीच जोश भरने वाले आल्हा-ऊदल के गायन के साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रचलित पारंपरिक गीतों की परंपरा बनी रहे और समय के साथ और समृद्ध हो, इसके लिए सबको अपने-अपने स्तर पर जतन करने होंगे। ऐसे ही जतन हमें उन पारंपरिक व्यंजनों को सहेजने के भी करने होंगे, जो होली पर खास तौर पर बनते हैं। पारंपरिक व्यंजन बाजार की भेंट नहीं चढ़ने चाहिए। आधुनिकता के साथ कदम मिलाने के इस डिजिटल युग में न केवल यह याद रहना चाहिए कि हमें अपनी संस्कृति का संरक्षण करना है, बल्कि यह भी कि उस सामाजिकता को पोषित करना है, जो भारत की पहचान है और जिसके तहत सब एक-दूसरे के सुख-दुख में साझीदार बनते हैं। यदि सामाजिकता सुदृढ़ होती रहे तो हमारी अनेक समस्याओं का निदान हो सकता है और देश को जिस सद्भाव की आवश्यकता है, उसकी पूर्ति भी हो सकती है। होली को किसी धार्मिक अनुष्ठान के रूप में देखना उसकी महत्ता सीमित करना है। यह तो हमारी संस्कृति का ऐसा उत्सव है, जो सबको आत्मीयता के रंग में रंगता है। यह विचित्र है कि कुछ लोग इससे आशंकित रहते हैं कि कहीं रंग के कुछ छींटे उन पर न पड़ जाएं। सबके तन-मन में रंग संग उमंग की तरंग दिखे, इस कामना के साथ होली की बधाई।