एक छोटा प्रदेश होने के बावजूद अब तक चार बहादुर सैनिकों को सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा गया है। इसके अलावा कारगिल युद्ध में दो परमवीर चक्र दिए गए।
 भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में हुई पासिंग आउट परेड में हिमाचल ने 21 अफसर दिए हैं। बीते वर्षों में यह आंकड़ा चालीस के पार भी जाता रहा है। इससे प्रदेश के युवाओं के देश सेवा में जज्बे का पता चलता है। सेना को अफसर देने में हिमाचल का दबदबा बढ़ा है, सिपाही के तौर पर भर्ती होने में भी हमारे युवा आगे हैं। हिमाचल में हर दूसरे परिवार से जवान सेना में सेवाएं दे रहे हैं। एक छोटा प्रदेश होने के बावजूद अब तक चार बहादुर सैनिकों को सेना के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से नवाजा जा चुका है। कारगिल युद्ध में ऑपरेशन विजय के बाद चार परमवीर चक्र दिए गए। इनमें दो परमवीर चक्र प्रदेश के बहादुर जवानों के हिस्से आए थे। प्रथम परवीर चक्र भी हिमाचल से संबंध रखने वाले मेजर सोमनाथ शर्मा को दिया गया था। इसके अतिरिक्त दो सैनिकों को अशोक चक्र व 10 वीर सैनिकों को महावीर चक्र प्रदान किए गए हैं। प्रदेश के बहादुर सैनिकों को 850 के करीब गैलेंटरी अवॉर्ड प्रदान किए जा चुके हैं। इसके अलावा 18 सैनिकों को कीर्ति चक्र मिल चुके हैं। सेना में इतना योगदान देने के बावजूद हिमाचल के पास अपनी रेजीमेंट न होना अब तक अखरता है। इस संबंध में हिमाचल कई बार अपनी आवाज उठा चुका है, पर बात आश्वासन से आगे नहीं बढ़ पाई है। इस मामले में प्रदेश की सरकारें अपने स्तर पर भरसक प्रयास करती रही हैं और कर भी रही हैं। इसी माह केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह हिमाचल दौरे पर आए थे। उनसे यह मांग उठाई गई थी कि मैरा मिलिट्री में हिमाचल से भर्ती की जाए। उन्होंने इस मांग को मानते हुए आश्वासन दिया है कि अब हिमाचल से पैरा मिलिट्री में भर्ती की जाएगी। इसे मांग के पूरी होने से निश्चित रूप से प्रदेश के जवानों को लाभ होगा। हमारे जवान पंजाब, डोगरा, राजपूताना और जम्मू-कश्मीर रायफल्स में अपनी बहादुरी का परिचय दे रहे हैं। वायु सेना और नौसेना में हिमाचली युवा अपनी बहादुरी का लोहा मनवा रहे हैं। इसके अलावा पैरा मिलिट्री में भी प्रदेश के कई जवान सेवाएं दे रहे हैं। अब हिमाचली युवतियां सेना में ऑफिसर रैंक पर चुनी जा रही हैं। राजनीति के लिहाज से छोटे प्रदेश का सेना में बड़ा योगदान है। यदि हिमाचल को अपनी रेजीमेंट मिलती है तो इसका लाभ लाखों बेरोजगारों को मिल सकता है। इससे सेना में हिमाचली कोटा बढ़ सकता है। केंद्र को इस जायज मांग पर फिर से विचार करना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]