ब्लर्ब : नौनिहाल उन बीमारियों के शिकार हो रहे हैं जो कभी अधेड़ उम्र में किसी को अपना निशाना बनाती थीं, अब बच्चों में फैल रहा मीठा जहर
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आधुनिकता के परिवेश में बच्चों के स्वास्थ्य पर एक अहम सवाल खड़ा हो गया है। खेलकूद की बदलती परिभाषा व खानपान की बदली जीवन शैली ने बच्चों का बचपन तो छीना ही पर उनके भावी भविष्य को भी अपने आगोश में लेकर जीवन के रंगों को बदरंग करना शुरू कर दिया है। प्रदेश सरकार ने स्वस्थ शिशु स्वस्थ प्रदेश के भावी सपने को लेकर कई योजनाएं शुरू की हैं। बच्चों के निशुल्क टीकाकरण से लेकर संतुलित पोषाहार व स्कूलों में स्वास्थ्य जांच के पीछे केवल यही मकसद है कि विभिन्न रोगों को पनपने से पहले से नष्ट कर दिया जाए। दुखद पहलु यह है कि अभिभावक अपने बच्चों की खुशियों के आगे इस प्रकार से नतमस्तक हैं कि उनके भावी भविष्य पर ही ऐसे आंखें मूंद रहे हैं जैसे बिल्ली को देखकर कबूतर आंखें बंद करता है। इसी का परिणाम है कि आज के नौनिहाल में उन बीमारियों के शिकार हो रहे हैं जो कभी अधेड़ उम्र में किसी को अपना निशाना बनाती थीं। मैक्लोडगंज में दो दिन चले डॉक्टरों के सेमिनार में खुलासा हुआ है कि बच्चों की बदलती दिनचर्या के कारण उनमें मधुमेह का रोग बढऩे लगा है। मामले की गंभीरता तो देखते हुए हिमाचल डायबिटीज सोसायटी ने पहल की है कि वह स्कूलों में जाकर मधुमेह से पीडि़त बच्चों का पता लगाएगी। इससे कम से कम यह आंकड़ा तो सामने आ जाएगा कि कितने नौनिहालों तक यह मीठा जहर पहुंच चुका है। अब आधुनिकता के इस परिवेश में व्याप्त कई चिंताओं के बीच एक बड़ी चिंता बचपन को बचाना है। एक अध्ययन में सामने आया है कि दिन में तीन घंटे से अधिक समय तक टीवी, स्मार्टफोन या टैबलेट का इस्तेमाल करने वाले बच्चों को मधुमेह का खतरा अधिक हो सकता है। तीन घंटे से अधिक समय तक टीवी या फोन की स्क्रीन देखने का संबंध ऐसे कारकों से हैं, जो बच्चों में मधुमेह के विकास से जुड़े हुए हैं। अधिक देर तक टीवी या मोबाइल स्क्रीन पर समय बिताने से शरीर में वसा एवं इंसुलिन की प्रतिरोध क्षमता का संतुलन बिगड़ जाता है। जंक फूड व डिब्बाबंद जूस भी इसके मुख्य कारक है। सुबह शाम बच्चों को सैर के लिए लेकर जाना और खान-पान में उन्हें भरपेट पौष्टिक भोजन परोस कर जंक फूड से दूर रखना होगा। हर परिवार अपने बच्चों को स्वस्थ रखने का उत्तरदायित्व अगर निष्ठा से निभाएगा तो ही स्वस्थ समाज से स्वस्थ प्रदेश और स्वस्थ राष्ट्र के निर्माण की कल्पना सार्थक होगी।

[ स्थानीय संपादकीय : हिमाचल प्रदेश ]