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फ्लैश---
ग्रामीण विकास में सड़कों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। खराब सड़कें किसानों को बाजार नहीं पहुंचने देतीं जिससे उन्हें अनाज आदि को गांव में ही बिचौलियों को बेच घाटा उठाना पड़ता है। इस लिहाज से सरकार का सड़कों की गुणवत्ता परखने को ड्रोन का सहारा लेना महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
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सड़कों का जाल बिछाना राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। सड़कों के बिना राज्य के विकास का सपना साकार भी नहीं हो सकता। बिहार के लिए यह सुखद है कि पिछले दस साल से सरकार और उसका नेतृत्व इस प्रयास में है कि हर गांव-टोले में पक्की सड़क हो, वहां से निकलने वाली सड़कें प्रखंड मुख्यालय तक जाएं और आगे अनुमंडल कार्यालय होते हुए जिला मुख्यालय तक पहुंचे। अनुमंडल मुख्यालय की सड़कें भी राजधानी पटना से अछूती न रहें, वहां सड़कें ऐसी हों जिससे कुछ घंटों में लोग रफ्तार भरते हुए पटना के बड़े अस्पतालों, विभागीय मुख्यालयों और बाजारों में दिन में पहुंचकर काम निपटाकर शाम तक घर लौट आएं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सात निश्चयों में चार साल में हर गांव-टोले को पक्की सड़क देने का वादा भी किया है। दशक भर पूर्व सड़कों के मामले में बिहार देश में हंसी का पात्र था। खासकर दूसरे राज्यों से यहां आने वाले कारोबारियों और पर्यटकों को जर्जर सड़कों से बड़ी परेशानी होती थी, लेकिन अब सूबे में सड़क निर्माण की गति ऐसी है कि व्यवसायी और सैलानी दूसरे राज्यों से टूरिस्ट बसों पर सवार होकर आते हैं और यहां विभिन्न जिलों में ऐतिहासिक धरोहर और धार्मिक स्थलों के दर्शन कर आसानी से वापस हो जाते हैं। सड़क निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल कर लाखों-करोड़ों के घपले-घोटाले भी आम माने जाते हैं। हालांकि इधर कुछेक सालों के दौरान राज्य सरकार ने इसपर कड़ा रुख अपनाया है। घटिया सड़क का निर्माण साबित होने पर कई ऐसी कंपनियों को काली सूची में डाला गया जिससे सड़कों के मामले में बिहार की साख काफी सुधर गई। नीतीश सरकार ने अब गांव-देहात में बनने वाली सड़कों की गुणवत्ता पर ध्यान देना शुरू किया है। ग्रामीण इलाकों में सड़क निर्माण के लिए छोटे-छोटे ठेके दिए जाते हैं। इनमें बड़ी भूमिका स्थानीय जनप्रतिनिधियों की होती है। वे या तो अपने भाई-भतीजे के नाम पर गांव-टोले की सड़कों को बनाने का ठेका ले लेते हैं या फिर कमीशन लेकर चहेतों को लाभ पहुंचाने की जुगत में रहते हैं। मुख्यमंत्री शायद इनकी कारगुजारियों से भली-भांति वाकिफ हैं, इसीलिए उन्होंने बुधवार को ग्रामीण कार्य विभाग की ओर से बनवाई जाने वाली सड़कों की गुणवत्ता परखने को इनकी जांच ड्रोन से कराने का फैसला किया है। उनके इस कदम से प्रधानमंत्री ग्र्राम सड़क योजना एवं मुख्यमंत्री ग्र्रामीण सड़क योजना से बन रही सड़कों के गुणवत्तापूर्ण होने की उम्मीद की जा सकती है। गांव-देहात में सड़कें दुरूस्त रहेंगी तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।