भारतीय संस्कृति में महिलाओं को ऊंचा दर्जा दिया गया है। मातृसत्ता इसी संस्कृति का हिस्सा रही है। बदलते समाज के साथ परस्पर सामंजस्य भरे जीवन में महिलाएं पुरुषों की हमकदम हैं। बगैर इस आधी आबादी के संतुलित और विकसित समाज की कल्पना नहीं की जा सकती। यह भी सच है कि समाज विकसित होता गया, लेकिन जिस अनुपात में महिलाओं का विकास होना चाहिए था, नहीं हुआ। जहां विशेष वर्ग मानकर विशेष प्रयास किए जाएं, माना जाना चाहिए कि उस वर्ग का अपेक्षित विकास नहीं हुआ। महिलाओं के साथ भी यही हुआ है। आज उन्हें आरक्षण की दरकार है। उनके लिए विशेष योजनाओं की जरूरत है। कहना गलत नहीं होगा कि महिलाएं आज भी पुरुषों की बराबरी में खड़ी नहीं हो पाईं। इसके पीछे पर्दा प्रथा, लिंग भेद और पुरुष प्रधान मानसिकता जिम्मेदार है, जिसका शमन जरूरी है। यह तभी संभव होगा जब इस वर्ग को शिक्षित बनाया जाए। रोजगार देकर आर्थिक रूप से सबल बनाया जाए। साथ ही सियासत से लेकर प्रशासन तक उनकी पर्याप्त भागीदारी दर्ज कराई जाए। बिहार में शासन के स्तर पर इसका प्रयास दिखता है, जिसका परिणाम है लड़कियों और महिलाओं के बारे में लोगों की सोच बदली है। बेटियां भी अब बेटों की तरह महत्व पाने लगी हैं। पंचायत चुनाव और सरकारी नौकरियों में आरक्षण ने इनके महत्व को बढ़ा दिया। अब बहू-बेटियां भी गृहस्थी की कमाने वाले सदस्य के रूप में प्रतिष्ठापित हो रही हैं। जाहिर है, उनका सम्मान बढ़ा है। पंचायतों के माध्यम से महिलाएं विकास में योगदान दे रही हैं। घर की दहलीज लांघकर समाज को समझने और अपना स्थान बनाने का प्रयास कर रही हैं। इसका दूरगामी परिणाम होगा। विकास की राह पर संतुलन बनाए रखने के लिए आधी आबादी की राय-सहमति जरूरी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसकी महता को समझते हुए संसदीय प्रणाली में महिलाओं को आरक्षण देने के विचार पर सहमति जताई है। उन्होंने कहा है कि जदयू इसका समर्थन करेगा। महिलाओं की राय पर बिहार ने पूर्ण शराबबंदी का ऐतिहासिक निर्णय लिया, जिसके सकारात्मक फलाफल सामने आ रहे हैं। विशेषकर महिलाओं के प्रति घरेलू ङ्क्षहसा में कमी आई है। आर्थिक रूप से कमजोर तबके का अपव्यय न्यून हुआ है, जिससे गृहस्थी में सुधार आया है। राज्य सरकार का जेंडर बजट भी महिलाओं को सबल बनाएगा। सरकारी नौकरियों में आरक्षण से प्रशासन में इनकी भागीदारी बढ़ेगी। ऐसे प्रयास देश स्तर पर होने चाहिए। मुख्यमंत्री तीन अप्रैल को विशेषकर महिलाओं से लोक संवाद करेंगे। विकास के लिए उनकी राय जानी जाएगी। यह सराहनीय निर्णय है।
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हाईलाइटर
देश और समाज के विकास में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। संसदीय प्रणाली में महिलाओं को आरक्षण देने का नीतीश कुमार ने समर्थन किया है। समर्थन की यह आवाज हर ओर से उठनी चाहिए। बगैर आधी आबादी को सक्षम बनाए समाज की कमजोरियां दूर नहीं की जा सकतीं।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]