-------
कश्मीर से पुलिस के तीस नाके पार कर तस्कारों का जम्मू तक पहुंच जाना पुलिस की कार्यप्रणाली को शक के दायरे में लाता है, तस्करी रोकने के लिए सभी एजेंसियों को तालमेल बनाकर काम करना होगा
---------
जम्मू शहर के बस स्टैंड इलाके में मादक पदार्थ अंतरराज्यीय गिरोह के दो तस्करों से चार किलो चरस की खेप सहित पकड़े जाने से स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान राज्य में आतंकवाद को पोषित करने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाने से बाज नहीं आ रहा है। दोनों तस्कर मुंबई के रहने वाले हैं और कश्मीर से चार किलो चरस लेकर जम्मू पहुंचे ही थे कि पुलिस ने उन्हें धर दबोचा। यह पहली वारदात नहीं है कुछ माह पहले जम्मू के नरवाल इलाके से पुलिस ने अंतरराष्ट्रीय गिरोह के पांच तस्करों को दस किलो हेरोइन, दस किलो ब्राउन शुगर व नकदी के साथ गिरफ्तार किया था। देश के विभिन्न प्रदेशों में नशे की खेप से जो उगाही हो रही है उसका इस्तेमाल घाटी में सक्रिय आतंकवादी संगठन आतंकवादी गतिविधियों में कर रहे हैं। कश्मीर में हालात बिगाडऩे के लिए भी इस राशि के इस्तेमाल होने की बात से पुलिस ने इंकार नहीं किया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि नशे की यह खेप उत्तरी कश्मीर के टंगधार इलाके से घाटी होती हुई देश के विभिन्न प्रदेशों में सप्लाई की जा रही है। इसमें मुंबई के रहने वाले गिरोह के सदस्यों के पकड़े जाने से लगता है कि इस गिरोह का संचालन पाकिस्तान कर रहा है। सीमा पार से नशे की तस्करी कोई नई बात नहीं है। राज्य में पिछले तीन माह में करीब तीस लोगों को गिरफ्तार कर उनसे करोड़ो रुपये मूल्य के मादक पदार्थ तो पकड़े गए हैं, लेकिन इस खेप के पकड़े जाने के बावजूद तस्करी में कमी नहीं आ रही है। इसका मतलब है कि इसकी मांग देशभर में बढ़ रही है। सेब के सीजन में मादक पदार्थों की तस्करी चरम पर होती है। सेब की पेटियों में इसे तस्कर आसानी से ठिकाने पहुंचा देते हैं। विडंबना यह है कि घाटी से तस्करी कर जम्मू में पकड़े जाने से साफ हो जाता है कि इस खेप को लाते समय पुलिस के लगभग तीस नाके पार किए। लेकिन हर नाके से आसानी से इसका पार हो जाना भी पुलिस की कार्यप्रणाली को शक के दायरे मेें लाता है। तस्करी को रोकने के लिए सभी एजेंसियों को मिलकर काम करना होगा। पुलिस को चाहिए कि वह मामले की तह तक जाए ताकि राज्य में तस्करों के नेटवर्क का पर्दाफाश हो सके।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]