जैसे-जैसे सोशल मीडिया, इंटरनेट और सूचना तकनीक का विकास हुआ है, उसी क्रम में साइबर अपराध भी पैर पसारने लगे हैं। यही समय है जब इसके उपयोगकर्ताओं को चौकन्ना हो जाना चाहिए। लोगों को दूसरों के कटु अनुभवों से सीख लेने में देर नहीं करनी चाहिए। हाल ही में लखनऊ की एक युवती का फर्जी फेसबुक अकाउंट बनाकर उसके चित्र से चेहरा कापी कर एक अश्लील चित्र से जोड़ने की घटना हुई है।

बाद में यह चित्र फर्जी फेसबुक अकाउंट पर पोस्ट कर दिया गया। इस तरह का यह पहला मामला नहीं है। ऐसी तमाम घटनाएं पहले भी हुई हैं, लेकिन लोगों ने कोई सबक नहीं लिया। ऐसा नहीं कि इस प्रकार की घटनाओं पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता। इसके लिए जरूरी है कि यूजर को किसी भी दुरुपयोग के लिए सतर्क रहना होगा। उपयोगकर्ता को अपने मेल अथवा फेसबुक अकाउंट का पासवर्ड किसी को भी नहीं बताना चाहिए। साथ ही फेसबुक पर किसी अपरिचित व्यक्ति की फ्रेंड रिक्वेस्ट को स्वीकार करने से बचना चाहिए।

महिलाओं के लिए आवश्यक है कि वे अपने फोटो फेसबुक पर शेयर न करें। सोशल नेटवर्किंग साइट्स के माध्यम से महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों की शिकायतें साल दर साल बढ़ती जा रही हैं। इस वर्ष फोटो से छेड़छाड़, फर्जी पहचान के माध्यम से धोखाधड़ी, भद्दे संदेश और पोर्नोग्राफी की लगभग दो दर्जन शिकायतें राष्ट्रीय महिला आयोग के पास पहुंची हैं। पिछले साल ऐसी महज चार शिकायतें आई थीं। ऐसी स्थिति में जरूरी है कि लोग साइबर कैफे में इंटरनेट का प्रयोग करते समय चौकसी बरतें।

इंटरनेट के उपयोगकर्ताओं को कुछ हद तक इसका अंदाजा होने भी लगा है। ईमेल, फेसबुक, क्रेडिट कार्ड, कंप्यूटर और इंटरनेट बैंकिंग से जुड़ी साइबर क्राइम की खबरें आती ही रहती हैं। लोगों को यह जान लेना चाहिए कि उन्हें क्या एहतियाती कदम उठाने हैं। यूजर को मिलने वाले मैसेज और दूसरी जानकारियों को सहेज कर रखना चाहिए। जरूरत पड़ने पर किसी कानूनी लड़ाई में यही कारगर हथियार बनते हैं। अपराध कब हुआ, उसकी तारीख और समय भी जरूर ध्यान रखें। यदि किसी के फेसबुक अकाउंट पर अश्लील टिप्पणी की गई या कोई अश्लील ईमेल भेजा गया है तो उसे अपने पास सुरक्षित रखना जरूरी है, क्योंकि टिप्पणी करने वाला उसे हटा भी सकता है।

ज्यादातर साइबर अपराध हमारी अज्ञानता के कारण ही होते हैं। इसलिए लोगों को अपना तकनीकी ज्ञान बढ़ाना चाहिए, ताकि किसी अनहोनी से वे बच सकें।

(स्थानीय संपादकीय: उत्तर प्रदेश)