-----नई सरकार के गठन के बाद गुंडे-माफिया को लेकर शासन सख्त जिस तरह हुआ है, उसका असर निकट भविष्य में जरूर दिखना चाहिए -----मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि गुंडे-माफिया प्रदेश छोड़कर चले जाएं या फिर अंजाम भुगतने को तैयार रहें। सरकार का यह संकल्प बड़ा है तो चुनौती भी काफी कठिन है। ढर्रे से उतरी कानून-व्यवस्था को पटरी पर लाने का यह प्रयास इतना सरल नहीं है, जितना समझा जा रहा है। क्योंकि कुछ वर्षो में अपराध के मामले में प्रदेश की स्थिति बद से बदतर हुई है। शासन स्तर पर भले ही अन्य राज्यों के आंकड़ों को दिखाकर या थानों में अपराध दर्ज न कर आंकड़े कम दिखाने के प्रयास होते रहे हैं, पर वास्तविकता को छिपाया नहीं जा सकता। वस्तुत: कुछ वर्षो में राजनीति ने अपना चेहरा और चरित्र बदला है। राजनीतिक लक्ष्य साधने के लिए धनबल और बाहुबल इसके दो प्रमुख अस्त्र बन गए हैं। राजनीति का तेजी से अपराधीकरण हुआ है। पहले जो अपराधी सत्ता का संरक्षण पाकर सत्ताधारी नेताओं के लिए काम करते थे, उन्होंने अपना ढर्रा बदलते हुए खुद ही राजनीति में प्रवेश करना शुरू कर दिया। कहना मुश्किल हो गया है कि राजनीतिक का अपराधीकरण हुआ है या अपराधी ही राजनीति में आ गए हैं। अवैध कब्जे, रंगदारी, फिरौती, अवैध खनन, ठेके से लेकर लूट की बड़ी से बड़ी घटनाओं को भी इस तरह से नजरअंदाज किया जाने लगा है जैसे कहीं कुछ हुआ ही न हो। कहा तो यहां तक जाने लगा है कि तमाम थाने पुलिस नहीं गुंडे-माफिया ही संचालित कर रहे हैं। ऐसे में आम आदमी की सुनवाई थानों में कितनी और किस तरह होती होगी, आसानी से समझा जा सकता है। छेड़छाड़ जैसी घटनाओं को लेकर यह प्रदेश दंगे तक झेल चुका है, बावजूद इसके अपराध पर अंकुश के लिए उठाए गए कदम प्रभावी नहीं हो सके। लगभग हर तरह का अपराध प्रदेश की जनता लंबे समय से झेलती रही है। जनता में एक तरह का निराशा का भाव घर कर गया था। इसलिए चुनाव से पहले जब इस तरह की बातें होती थीं, तो लगता था कि नेताओं और पार्टियों के अन्य वादों या जुमलों की तरह यह भी कोई जुमला ही होगा लेकिन, नई सरकार के गठन के बाद इस मुद्दे को लेकर जिस तरह शासन सख्त हुआ है, उसका असर निकट भविष्य में दिखना जरूर चाहिए। उम्मीद है कि नई सरकार ने जिस दृढ़ता से संकल्प जाहिर किया है, उसी अंजाम में वह अपने इरादों में सफल भी होगी।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]