हाईलाइटर
किसी भी योजना की सफलता के लिए जरूरी है कि उसे क्रियान्वित करने वाले प्रशिक्षित हों। साथ ही जो लाभुक हैं, उन्हें भी उनके अधिकार के बारे में जानकारी होनी चाहिए। राज्य में महिलाओं को सशक्त बनाने की मुहिम रंग लाएगी। इससे समाज सुदृढ़ होगा।
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किसी भी योजना का लाभ तभी मिल सकता है, जब उसे क्रियान्वित करने वाले प्रशिक्षित हों। जानकारी के अभाव में योजनाओं की चाल या तो सुस्त होती है या फिर विफल हो जाती है। राज्य सरकार ने महिलाओं के सशक्तीकरण को अपनी प्राथमिकता में रखा है। इसके लिए जरूरी है कि महिलाओं तक उनके अधिकार और कर्तव्य से संबंधित जानकारी पहुंचे। विशेषकर लिंग भेद की शिकायत को दूर करने के यथासंभव उपाय किए जाने चाहिए। आज भी यह अभिशाप बड़ी घटनाओं का कारण बन जाता है। आएदिन ऐसी शिकायतें मिलती रहती हैं कि पुत्र न जनने पर महिला को घर से निकाल दिया गया या फिर उसके साथ मारपीट की गई। हालांकि बिहार में माहौल बदला है। बालिकाओं में पढऩे के प्रति ललक जगी है। निरक्षर महिलाएं भी साक्षरता की ओर अग्र्रसर हैं। इस जागरूकता के पीछे सरकार की वह नीतियां उत्प्रेरक का काम कर रही हैं, जो महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने में सक्षम हैं। सरकारी नौकरी हो या पंचायत चुनाव, महिलाओं के लिए किए गए आरक्षण के प्रावधान ने उन्हें प्रोत्साहित किया है। परिजन भी इस बदलाव को स्वीकार कर रहे हैं। बेटी-बहू की जिंदगी को बेहतर बनाने में उनका अपेक्षित सहयोग मिल रहा है। इसे क्रांतिकारी बदलाव के रूप में देखा जा सकता है। इस अभियान को गति देने के उद्देश्य से कल्याण विभाग ने पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित करने की योजना बनाई है। लैंगिक समानता के प्रति सजगता और महिला सशक्तीकरण के लिए चलाए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी देने के लिए प्रखंड स्तर पर कार्यशाला की योजना बनाई गई है। सर्वविदित है कि महिलाओं के विकास के लिए सरकार ने अलग से जेंडर बजट बनाया है। महिलाओं के लिए तय कार्यक्रमों की जानकारी महिलाओं तक पहुंचे और उसका क्रियान्वयन उचित तरीके से हो, इसी उद्देश्य से अगले माह से इन कार्यशालाओं का आयोजन होगा। इनमें सीधी नौकरी में महिलाओं को आरक्षण, मुख्यमंत्री कन्या सुरक्षा योजना, लिंग भेद एवं घरेलू ङ्क्षहसा अधिनियम के साथ-साथ महिलाओं के अधिकार एवं कर्तव्य की जानकारी दी जाएगी। यह अच्छी पहल है। पंचायत प्रतिनिधियों की जिम्मेदारी बनती है कि वे इन योजनाओं को समझें और जमीन पर उतारने के लिए स्थानीय स्तर पर प्रयास करें। जागरूकता एवं प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से पंचायत या वार्ड स्तर पर भी समूह बनाकर महिलाओं को इसकी जानकारी दी जा सकती है। विशेषकर महिला पंचायत प्रतिनिधियों को इस कार्यक्रम में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभानी चाहिए। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस प्रयास से महिलाओं के जीवन में और सुधार आएगा। वह सशक्त होंगी। देश और समाज सशक्त होगा।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]