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बारहवीं के नतीजों में लड़कियों ने 64 में से 45 पोजीशन लेकर फिर अपना वर्चस्व कायम रखा, इसका श्रेय समाज में बदल रही सोच को भी जाता है
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राज्य शिक्षा बोर्ड के घोषित हुए बारहवीं कक्षा के परिणामों में इस बार लड़कियों के बेहतर प्रदर्शन से यह जाहिर हो गया है कि समाज में मिल रही चुनौतियां के बावजूद वे किसी से कम नहीं हैं। बारहवीं के नतीजों में लड़कियों ने 64 में से 45 पोजीशन लेकर फिर अपना वर्चस्व कायम रखा। कुल 51 प्रतिशत परिणाम में से लड़कियों का पास प्रतिशत 55 प्रतिशत रहा, जबकि 48 प्रतिशत लड़के ही पास हुए। प्रतिस्पर्धा के इस युग में मेधावी छात्राओं ने यह साबित कर दिया है कि अगर मेहनत और लगन से कोई भी काम किया जाए तो सफलता आपके कदम चूमेगी। मुकाबला इतना कड़ा था कि साइंस स्ट्रीम में पहली दस पोजीशन में 36 विद्यार्थी स्थान पाने में सफल हुए। इसमें लड़कियों ने 20 पोजीशन हासिल कीं। इसमें कोई दोराय नहीं कि ग्रामीण व दूरदराज क्षेत्रों में भी छात्राओं ने बेहतर प्रदर्शन किया। यह उनकी मेहनत और लगन का ही नतीजा है, जो बारहवीं के परिणामों में दिखा। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा की इस अलख से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अभिभावकों को भी समझ आ गया है कि लड़कियों के लिए शिक्षा की क्या अहमियत है। इसका श्रेय समाज में बदल रही सोच को भी जाता है। पहले लड़कियों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया जाता था लेकिन बदलती सोच के कारण अब हर अभिभावक की कोशिश होती है कि लड़कियों की शिक्षा की तरफ ज्यादा ध्यान दिया जाए। यही सोच अब ग्रामीण इलाकों में भी बढ़ रही है और राज्य में कन्या शिक्षा दर में बढ़ोतरी हुई है। इंटरनेट के इस युग में क्रांति ला दी है जिससे दूरदराज क्षेत्रों में बैठे युवा भी अब किसी से पीछे नहीं हैं। शिक्षा, नौकरी या किसी प्रोफेशनल कॉलेज में प्रवेश की जानकारी के लिए ग्रामीण क्षेत्र के लोग किसी के मोहताज नहीं हैं। युवाओं की इस सफलता को देखते हुए सरकार को भी चाहिए कि वह मेधावी छात्रों को सम्मानित करें ताकि अन्य के लिए वे प्रेरणास्रोत बनें। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि एक महिला जिस पर पूरे परिवार का दारोमदार होता है अगर पढ़ी लिखी होगी तो वह समाज की तमाम चुनौतियों का मुकाबला कर सकेंगी। इससे महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा मिलने के साथ समाज में उन लड़कियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा जो किन्हीं कारणों से पढ़ाई को बीच में छोड़ देती हैं। सरकार को राज्य में महिला शिक्षा दर जो 58 प्रतिशत है उसे बढ़ाने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]