झोपड़पट्टी में रहने वालों के लिए सरकार द्वारा शहर के सुंजवां इलाके में बनाए जा रहे सिंगल रूम फ्लैट्स के निर्माण होने से पहले ही लोगों का उन पर अतिक्रमण कर लिया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। बेशक नगर निगम के अधिकारियों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उन्हें खाली करवा लिया, लेकिन जिन लोगों के लिए यह फ्लैट्स तैयार किए जा रहे हैं, वे कहीं दिखते ही नहीं। जो लोग झोपड़पट्टी में रह रहे हैं, दरअसल वे बाहरी राज्यों के लोग हैं और अभी राजीव नगर और उसके आसपास के क्षेत्रों में रह रहे हैं। सरकार केवल उन्हीं लोगों को फ्लैट्स उपलब्ध कराएगी, जिनके पास राज्य का मूल निवास प्रमाण पत्र होगा। लेकिन झोपड़ पट्टी में ऐसा कोई भी बाशिंदा नहीं है जिसके पास यह प्रमाण पत्र हो। सरकार को भी यह मालूम है, ऐसे हालात में कई लोगों की नजर इन फ्लैट्स पर है कि किसी तरह इन पर कब्जा जमाया जा सके। विडंबना यह है कि आठ वर्षो से फ्लैट्स का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है। पिछले दो वर्षो से काम रुका हुआ है। इससे निर्माण की लागत भी दोगुनी हो चुकी है। सरकार का आधे-अधूरे मन से इनका निर्माण गैर योजनाओं को दर्शाता है। इससे सरकार की योजनाएं दिशाहीन लगती है। सरकार को चाहिए कि सर्वप्रथम वे इन फ्लैट्स का निर्माण शीघ्र करें। फ्लैट्स के निर्माण के लिए निर्धारित की गई राशि का इस्तेमाल इसी परियोजना के लिए हो। इससे सरकार का गरीबों को आशियाना मुहैया करवाने का जो सपना है वे कहीं अधूरा न रह जाए। सरकार को चाहिए कि वह इन फ्लैट्स को उन लोगों को दे, जो सही हकदार है। यहां कुल 608 फ्लैट बनाए जाने हैं। इनमें से 336 बनकर तैयार हैं। अभी 272 फ्लैट्स का निर्माण होना बाकी है। सरकार इनका आवंटन करने से पहले खास ख्याल रखे कि जिस मकसद से ये फ्लैट्स तैयार किए जा रहे हैं, उसमें गरीबों की उपेक्षा न हो। यह निर्माण केंद्र प्रायोजित योजना के तहत हो रहा है और उसकी फंडिंग भी केंद्र सरकार की ओर से हो रही है। ऐसे में केंद्र सरकार को भी चाहिए कि वह इस बात का ध्यान रखे कि कहीं इस धनराशि का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा है।

[ स्थानीय संपादकीय : जम्मू-कश्मीर ]