हाइलाईटर
सरकार व प्रशासन को नकल रोकने के लिए कड़े प्रावधान करने चाहिए, क्योंकि इससे सर्वाधिक नुकसान उनका होता है जो वर्ष भर कड़ी मेहनत से पढ़ाई करते हैं।


पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की 12वीं के अंग्रेजी विषय की परीक्षा के दौरान अमृतसर, तरनतारन व प्रदेश के कुछ अन्य हिस्सों में जो तस्वीरें देखने को मिलीं, वह हताश और निराश करने वाली हैं। यह तो विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। सबसे चिंताजनक यह है कि बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ में अध्यापक और अभिभावक भी बराबर के जिम्मेदार नजर आ रहे थे। प्रदेश में परीक्षा में नकल के मामले हर साल सामने आते हैं। यही कारण है कि इस बार शिक्षा विभाग की ओर से यह दावा किया जा रहा था कि नकल रोकने के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए हैं। गत दिवस शिक्षा विभाग के दावे हवा में उड़ते हुए दिखाई दे रहे थे। विद्यार्थी बेरोकटोक जमीन पर एक-दूसरे सामने बैठकर सामूहिक रूप से नकल कर रहे थे और अध्यापक मूकदर्शक बनकर इसका समर्थन करते दिखे। जैसा माहौल था, उसे देखकर तो यह तक कहा जा सकता है कि परीक्षा नहीं हो रही थी, बल्कि इसका मजाक उड़ाया जा रहा था, क्योंकि पेपर शुरू होते ही वाट्सएप के जरिए प्रश्न पत्र स्कूल के बाहर पहुंच गया। इसके बाद परिजन नकल के लिए गाइड से पर्चियां बनाने में जुट गए। कहीं परिजन तो कहीं विद्यार्थियों के दोस्त बेरोकटोक स्कूलों में दाखिल होकर पर्चियां पहुंचा रहे थे। कहीं-कहीं तो जो पुलिसकर्मी नकल रोकने के लिए तैनात किए गए थे, वह भी नकलचियों व उनके परिजनों, दोस्तों की मदद करते हुए दिखाई दिए।
इस सबके लिए विद्यार्थी और अध्यापक तो जिम्मेदार हैं ही, लेकिन सबसे अधिक कसूरवार विद्यार्थियों के परिजन व अभिभावक हैं, जो न सिर्फ नकल के लिए अपने बच्चों को प्रोत्साहित करते दिखे अपितु इस कृत्य में पर्चियां आदि पहुंचाकर खुलकर साथ भी दिया। परिजनों को यह समझना होगा कि जिस मार्ग पर वह अपने बच्चों को चलने के लिए प्रेरित, प्रोत्साहित कर रहे हैं उस पर आगे चलकर महज अंधकार और मायूसी ही हाथ लगने वाली है। इसलिए यह जरूरी है कि अपने बच्चों को मेहनत व लगन से पढऩे और ईमानदारी से परीक्षा देने की शिक्षा दें, क्योंकि हर परीक्षा में नकल की बैसाखी साथ नहीं रहने वाली। सरकार व प्रशासन को भी नकल रोकने के लिए कड़े प्रावधान करने चाहिए, क्योंकि इससे सर्वाधिक नुकसान उन बच्चों का होता है, जो वर्ष भर कड़ी मेहनत से पढ़ाई करते हैं।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]