चिकित्सक का दर्जा धरती पर दूसरे भगवान का है, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि इस पेशे को सेवा की बजाय पैसे कमाने का जरिया बना लिया गया है।
समाज यदि चिकित्सक को दूसरे भगवान का दर्जा देता है तो चिकित्सक की भी यह जिम्मेदारी है कि वह पेशे के साथ ईमानदारी बरते और पूरी निष्ठा के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करे। दुर्भाग्यवश हकीकत में ऐसा दिखाई नहीं देता और ऐसा प्रतीत होता है कि इस पेशे को पैसे कमाने का जरिया बना लिया गया है। ऐसे कई मामले आए दिन सामने आते रहते हैं, जिनसे यह आशंका बलवती होती दिखाई देती है। पंजाब में भी हालात जुदा नहीं हैं। यहां भी इस पेशे को पैसे से जोड़ दिया गया है। विगत दिवस दो ऐसे मामले सामने आए जो इस पवित्र पेशे पर कलंक के समान हैं। पहला मामला विगत दिनों पटियाला जिले के पातड़ां में सामने आया जहां भ्रूण के लिंग परीक्षण के आरोप में एक महिला डॉक्टर को पकड़ा गया और उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया। हालांकि बाद में उसे छोड़ दिया गया। दूसरा मामला भी आंखें खोलने वाला रहा। गत दिवस स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश भर के सिविल अस्पतालों से ऐसे डॉक्टरों की सूची मांगी है, जो रात को सिजेरियन डिलीवरी करते हैं। दरअसल रात में सिजेरियन डिलीवरी करने पर डॉक्टर को तीन हजार रुपये कमीशन मिलता है। सेहत विभाग ने सेहत सुविधाओं में सुधार के लिए यह योजना शुरू की थी, ताकि रात में किसी को डिलीवरी में परेशानी न हो, लेकिन डॉक्टरों ने इसे कमाई का जरिया बना लिया और जो डिलीवरी दिन में हो सकती थी, उसे भी कमीशन की लालच में रात को करने लगे। महज मोगा जिले में ही एक वर्ष में दिन में जहां 900 सिजेरियन डिलीवरी की गई, वहीं रात में यह संख्या 1338 रही। इन मामलों से यह स्पष्ट है कि पैसा कमाने के लिए कुछ डॉक्टर नैतिकता को ताक पर रखने और कानून तोडऩे से भी नहीं हिचक रहे हैं। खासकर लिंग निर्धारक परीक्षण तो गैरकानूनी होने के साथ ही लिंगानुपात सुधारने के लिए किए जा रहे सरकार के प्रयासों को भी पलीता लगाने वाला है। पर्याप्त सख्ती न बरते जाने और राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण भी ऐसे मामलों को पूरी तरह रोकने में सफलता नहीं मिल पाती है। सरकार और पुलिस को ऐसे मामलों में पर्याप्त सख्ती का परिचय देना ही होगा, तभी ऐसे मामलों को पूरी तरह रोकने में सफलता मिल सकती है। साथ ही डॉक्टरों को भी चाहिए कि वे अपनी नैतिक जिम्मेदारी को समझें और ऐसे किसी भी आचरण से दूर रहें, जो धरती पर उनके दूसरे भगवान होने की छवि को आघात पहुंचाने वाला हो।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]