-----होली हो या दीवाली बड़े त्योहारों के दौरान नकली, मिलावटी, सिंथेटिक और अवैध माल की खरीद-बिक्री बड़ी आसानी से हो जाती है। -----इलाहाबाद जिले में स्पेशल टास्क फोर्स और पुलिस ने साझा कार्रवाई के दौरान एक ट्रक अवैध शराब पकड़ी है। यह शराब हरियाणा से तस्करी करके लाई गयी थी। इस शराब के साथ तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। इस अवैध शराब को होली में खपाना था। शराब की कीमत करीब ४५ लाख बताई गई है जिससे करीब इतना ही मुनाफा कमाया जाना था। उत्तर प्रदेश में आबकारी कर की दरें अधिक होने से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश से सस्ती शराब लाकर बेचने का धंधा फायदेमंद माना जाता है। इस काम में कई बड़े संगठित गिरोह लगे हुए हैं। दरअसल होली हो या दीवाली बड़े त्योहारों के दौरान नकली, मिलावटी, सिंथेटिक और अवैध माल की खरीद-बिक्री बड़ी आसानी से हो जाती है। स्थानीय पुलिस और सत्ता से जुड़े लोगों का आशीर्वाद मिल जाये तो यह धंधा और चोखा हो जाता है। इन काले कारोबारियों को किसी की भी जान से खेलने का मानो लाइसेंस मिल जाता है। हर्ष और उमंग के त्योहार होली के साथ कई परंपराओं के साथ इधर बीच नशेबाजी का आयाम भी जुड़ गया है। कभी भंग की तरंग में होली खेलने का मजा ही कुछ और होता था लेकिन, आधुनिकता के दौर में भांग की जगह शराब का चलन बढ़ा है। ऐसे में शराब की मांग कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। इस मांग को पूरा करने के लिए तस्कर और अवैध शराब को कारोबारी सामने आ जाते हैं। इनका मकसद रातोरात बड़ा मुनाफा कमाने का होता है। वे दूसरे राज्यों से बड़ी मात्रा में शराब मंगाते हैं। वस्तुत: इस तरह की शराब की गुणवत्ता की कोई गारंटी भी नहीं होती। कुछ कारोबारी ज्यादा से ज्यादा कमाई के चक्कर में कभी-कभी नकली और मिलावटी शराब भी बाजार में उतार देते हैं। यह शराब जानलेवा साबित हो जाती है। त्योहार पर पहले कई ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं जिसमें दर्जनों लोगों की या तो जान चली गयी या वे आंखों से हाथ धोकर जिंदगी भरके लिए दूसरों पर आश्रित हो गए। चूंकि शराब पीने-पिलाने को आज भी मुख्य धारा का समाज नीची नजर से देखता है इसलिए कोई बड़ा हादसा होने पर समाज की प्रतिक्रिया बड़ी ठंडी होती है। सरकार मुआवजा देकर और कुछ लोगों की धरपकड़ का आदेश देकर मामले को ठंडे बस्ते में डाल देती है। अब ये सामान्य जन के विवेक पर ही निर्भर करता है कि वे किस तरह इन काले कारोबारियों का शिकार बने बिना अपना त्योहार ठीक से मना सकें। उनकी होली किसी भी सूरत में बदरंग न हो।

[ स्थानीय संपादकीय : उत्तर प्रदेश ]